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________________ ७२० उसमें बारामाने शक कुरा फुटकर वर्षमा प्रा में मिल जाते है। उपलथ होने वाली रमानों में पी डा.नामवर सिंह ने बारामा सर्व प्रथम रचना नियन्त्रपूरित नेमिनाथ विका-को अरावा साथ ही उसे अमल का भी कहा है परन्तु दोनों ही पीक नहीं है। नेमिनाथ बम्पविका अपांव की रखना नही होकर प्राचीन राजस्थानी का पुरानी दिी की रखना है। नेमिनाथ बम्पदिका काम पर विस्तार में विचार पिछले मरमा संजक रबमानों के अध्याय में किया गया है। मेक्मिा एक दिका एक तो मप की गति नहीं पुरानी हिन्दी की है। मां की खमानों में भी नारामामा सशक एक प्राचीनतम रचना उपलब्ध हुई है जिसका नाम :मारनाका-। यह रफ्ना श्री अमरबंद नाडा मे प्रगति की है। माया ओरिएन्टल सीरीज से प्रकाशित पनस्थ न माडरीब अन्य सूची का प्रमाण में वाइपीय प्रतियों का जो परिका ाि वा उसमें धरि साहिबार अपांच रचना की प्रारम्भिक की गाथाओं और अन्त की में उदयव १० गाथाओं का माम श्री गांधी ने पी- बारमा वादा मार पर दिया है। वस्तुतः अपार की भयावधि उपाय बारहमायरों में बा रसा प्राचीन अपनी बारहमाग पुरानी सीमाविकालीन रबमानों पीपरhिinान्य विमान विNिTE-पी निमारमा का for" - ma लामिण्या-माविषयी। वामियोमा गाभार TETam नवीन... :-सलमानावारीबी -वामा ओरिएन्टकरीब सारा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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