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ए संसार असार सुणीजइ दुक्ख तमउ भंडार आप सवारथ सहूई मिलीउं पुत्र कलत्र परिवार लच्छी चंचल पवन ती परि यौवन संध्याराग नीर बिंदु जिम जीवी जाणीई आणी मनि वइराम संजम लेई शिवपुरी पहुछ धन धन विद्याविलास मग हीरानंद श्री संघ पूरत मन मंछित सवि आम प्रस्तुत रचना का लोक कथा काव्यों की दृष्टि से तो महत्व है ही साथ ही छंदों और रागों की दृष्टि से भी इसका बड़ा योग है। पूरी रचना में देवी सवैया और दूहा चथइ में काव्य लिखा गया है। वस्तु छंद, गीत राग और दाल आदि सभी का विश्लेषण इस प्रकार है:
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女
१ २१
२२ से २७
२८ से ९४
९५ से ९९
१०० से ११९
१२०-१५२
१५३-२४७
२४८-१८०
२८१० ११०
२९८-३९१
३२-३३८
६९३
३३९-३६९
राग
सवैया देवी पवाड़- मात्रा १६ १२
वहा
मात्रा १३ ११
दूहा, अंत में ए का प्रयोग वाला देशी सवैया (जयदेव द्वारा आयोजित)
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बस्तु
सवैया देवी भवा
*ए की आवृत्वि(रान देवान) हिम चुबड, मानवी
बस्तु तथा दुवा
चप ( १५ मात्राओं का हरेक पद) तथा दूढा wes, हराम मालवी व ) तथा वस्तु
गीय, (रा) बूढा (१३ ११)
कप ( १५ मात्रा राम रामगिरि )
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१५ १३ अंत में रमन अंड में संगीतात्मक
विवाला डाल- प्रथम पद की पुनरावृत्ति दूसरी बार (१४ १४ मात्राएं तथा ए का थाना हरेक पंक्ति के अन्त में ए
तथा वस्तु छेद।
पवाडु (देवी) मात्रा १६ १२
राग भीमपलासी वस्तु
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