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(३) वसंत तिलका
वयराट उत्तर पसई कुरु राउ पाउ अघोहिणी दळवणी रज सूर छायउ नीसाग ने सहसि अंबर घोर गाजइ
५ पाच पाडव तणउ किरि भेजु भाइ (१०२ पृ० ५० (४) उपजाति
ए गंधकारी मिसि रूम वासी, रही अड़ उत्तममारि नासी
किम इन जा पिउं फल नैव साजइ, अण जाणतु अंघ भवाडि वाश (५) मालिकी.
निरूपम कुल बाली, उपनी चित्रसाली अविकुल गुण वाली काम भूपाल मल्ली कह हुइ पुर राणी मानवी मईन जाणी
अहत हुइ चिनारी वो इतु हुइ गधारी (२५) इसकेसाथ ही कवि ने इन्द्रवत्रा (पाग १ पद ३, भाग २ पद ५) तथा उपेन्द्रवजा (भाग १, छंद , भाग २, मंद में भी प्रयुक्त किया है। पूरी कृति का प्रमुख छंद स्वागता है। साथ ही कवि ने बीच बीच में दो का मिश्रित समपी प्रवक्ता किया है जिनमें रथोधता, इन्द्रवत्रा, रथोड्यता-स्वागता, स्वामता रथोइधता, इतिविलंबित-स्वागता आदि ' इस कंद के शिल्प तथा पुरानी गुजराती के उच्चारण से इन बी के सम्बन्ध पर गुर्जर रामावती के संपादकों में पर्याप्त
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1.4.0.8.OXVIII Page (8-00) the analysis of the mixed stanga 18symptomaticsathem.Poetryaaloinolined to useixed atan as of gyllable setres just as we find here in 00 Poetry.
2. Ibid. Another point which draws the attention th. Vaxation be tween the spelling and the exact prosedie prenanalation of words Th. wetreal for being e yllabie metre, the stanza is governed by the length, ahortness and number of theullables. The
12.1.0.