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इस प्रकार कवि ने विरोधाभास में अरिहंत राय का नगर वर्णन किया है। त्रिभुवन दीपक प्रबन्ध में कवि ने काम का प्रभाव उसकी सर्वत्र विजय और अजेय स्थिति का बड़ा पार्मिक वर्णन किया है। पर साथ ही संभवन का वर्णन भी अत्यन्त उत्कृष्ट है:
सिजल रक्बइ सविठु कालि, बंध-सरोवर नव सरपालि संगम-वन अति रुoियाम, पाद्रह देव विजयमा मण्ड सुकृत-महागटि पोलि बियारि, दान सील तप पाव विचार विरति न ars आवs कोठि सदाचरण को सीसा को डि
मन परिणामास साहू वसई तिहो लील विलास
श्रुतरस-कूचडी घर घर बारि, सदगुरु वाणी पायी हारि (पद १६४ ) विवेक की पत्नी सुमति का सौन्दर्य उसका आवास वर्णन कवि ने बड़ी कुवलता के साथ form है। कवि का आध्यात्मिक वर्णन माया की वरलता और प्रासाकिता अत्यन्त मनोहारी वन पड़ी है। सुमति रानी के परिवार का प्रतीकात्मक वर्णन देखिए:
राणी सुमति करण अनुराग जेल बेटर तसु बबराय संवर समरस लक्ष्य कुमार बाल विबु पुन निवार
मैत्री करुना इदित उस बेटी बढय स्पनी रेक मुहता वढि समकित लेखि, मस्वकार वा बल देखि उपशम विनय सरल संतोष, बिहु महाचर सधर प्रथोम बार पेद प्रतिमा नारही र केलि विवा बरत रही प्रायश्वित पुन पानी हरड शुभ ध्यान बरु छानउ फिरs ज्ञान- हार न बावरे पर सिरि गुरु उपदे सामाइक वारी वार, कर्म विवर नाहिं पडिहार
किथा कलम सक्ल कोठार
are अर्थ बहुत मंडा वाति व
जमीर हा गुण ही