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________________ ५६८ कवि ने नवम रस की महिमा सरस्वती का आधार और रसज्ञ श्रीता सबका उल्लेख प्रारम्भ में कर दिया है.. देवी दीदी सरिस मई दिदा दसम-नारि करिसि विस्त मोहामण सा सरसति आधारि से घट-मुन्धि अजाणता, करई क्या कन्लोल पांघर ते परहरी, गिरिसिरि मंडई टोल नवमा रसबमरिसम परि आठि आणिउहि गुरुगा गुणि अगला मुडव डि मैडिउ तेहि सेवीता कवि रस विरस इकाइकिक जोड नवमउ शिम जिम मेवीइ 'तिम तियमी होडर कवि ने श्रोताओं को शान वर्णन करने की सूचना देकर मोह निद्रा से सावधान किया है: पुण्य पाप ते भइ टलई दीसइ शुक्ल-द्यार सावधान ते संभला हरमिस विचारकविने राजा परमहंस का स्वम वर्णन और मावा का सुन्दर चित्र दिया है। परमहंस के और रानी पैठना के मुखमय जीवन और आनन्द प्रमोद साध माया के मोहक स राजा को देखना का सिवान देसिपः. भयडी रे रममी मस्त मयगमनी देषी भूलर त्रिभवन धणी अमृत इंडि किम बिE TORY समुद्र की न नीला सरवर पाहन दय पर जला, परपि भारि क न सलसलाइ रवि पि वारसा पोरधारा पर धार किम अंगार १- वही पद।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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