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इसी तरह अन्य कई अलंकारों को स्पष्ट किया जासकता है।
नेमिनाथ चतुभ्पादिका के नायक नेमिनाथ है जो एक चरित नायक है। इस पर औक क्या लिखी गई है। रामायण और महाभारत जिस तरह बरित नायकों को प्रसिद्धि में लाने का श्रेय रखती है, उसी मावि पुष्पदंत का महापुराण में पी नेमिनाथ चरित मिलता है। अपने कवियों के लिए तीर्थकर नेमिनाथ और स्थूलिम, चक्रवर्ती मरत और बाहुबली, ब स्वामी या मास्मि से ही परित है: नेमिनाथ की कथा अत्यन्त प्रसिद्ध क्या है। कथा की यह कदि बड़ी की प्रचलित रही है। प्राकृत में ... श्लोकों में लिखा हुआ एक बहुत ही प्रसिद्ध काव्य नेमिनाथ वरिख मिलता है इसका रचनाकाल सन् १९५५ और रचनाकार हरिभवसूरि है और उसके बाद यह हमारा आलोच्य मध है। पुम निगम का नेमिनाथ रास भी इसी अन्य के पूर्व लिखा हुआ है और इसके बाद तो मिना बरित पर मा काव्यों और चरित काव्यों की झड़ी सी लग जाती है। अत: या में अव्याहत परम्पराओं का निर्वाह सर्वत्र परिलक्षित होता है। इन परम्परागों में चक्राकार वृत्त की पाति नेमिनाथ की कथा उलझी हुई है और यह वृत्तान्त भनेक दम है बर्षित पर है। परंपराएं भी बड़ी ही महत्वपूर्ण है। मुमतिग पि के नेमिनाथ राम या बाप और बलराम के साथ नेमिनाथ पराम का वर्णन उनके परिवारिक सम्बन्ध के साथ चलना है। जिसमें विभिन्न मोड़ दिखाई पड़ोमिनाब विवाहपूर्व का सब घटना वर्षन उसमें बा गाई पर हमारे बालो की पक मौलिकता बदी अपूर्व। इसमें तुलनात्मक दृष्टि से देखने पर मेमिनाभ और राजुल का विवाह होने के समय से पूर्व का नहीं मिला और दोनों के निवास उत्सबकी काय प्रारम्भ हो
पाया की मोककी पालिसा उसके विस्त होने और पूर्व
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