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इस शिला लेख में कवि ने नायिका राउल का नव श्चि वर्णन बड़ी भजन से किया है। यही उदाहरणार्थ नायिका के केश कलाय और रक्तिम आपा से युक्त भाल आदि के सम्बन्ध में एक उद्धरण दिया जा रहा है। वर्णन में कहींकहीं अब्द कट फट गए है पर अलंकारिक वर्णन भाषा की सरलता और प्रासादिक्ता तथा उपमानों की मौलिकता आदि को इस दृष्टि से देखने से इस गड्य की सम्पन्नता का अनुमाम किया जा सकता है।यन का सौन्दर्य देखिए:(1) सोपहि उपरि सोलाह दीन वान से किस भावहाविसब मिरिका
जायसु काम्ब देवह कर नाबइ। निलाह रख करत सुपबाग------ मान न उचल। सो देखिउ आउम्विहि करउ बाइ इस मावइ..
(केवों के ऊपर जो सोलडा(मेलाड़ियों वाला आधुम) दिया हुमा उसका वर्णन सा भाता है जैसे सिंदुरिक के राज आदेश से कामदेव कर नमित कर रहा होमका ललाट रक्त वर्णन का और रा (हा या सुन्दर) है। उसके प्रमाण---) उससे कम ऊँचा है उसको देखकर अष्टमी का चन्द्रमा पेसा पाता है, (२) पर गौड हुई पक को पनु अउर वर (1) ...को (1) ईगंगा बोल्छ।
म मालवीउ वे सुधि आय काम्बके गार (वा भाषा विवाए
भूलइ। इस बार ममी डॉप काय पह। (कर्ष- ऐ गौर, एक दुसरा और --- कौन और बोर बोरमा जो किन मालवीया रे रसकी परिवादी कामवेव मानो बना हथियार मूल माता है। हर किया हमारी मी दोष होगामी।। मस उखरम मे
H ereी काव्यात्मक नता का मान मी मिल वा
का मा प्रकाशित हो जाने पर इसके काव्यात्मक गद्य का सम्बनुमान लगाया जा रोमा।
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.-को रचना का यह माल रोग निवा . नाम प्रसाद मुना