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दुपद।। विलवइ के सस्ती कीजय कंकण अंग उछा नीरि जिम माली तिम विरह दहइ अम्ह अंग ।।
विलवइ बे सती।। जिको बंधन छोडवइ स्वामी ते पातक डइ पूठि। बेद बचन अहे सामत्या दू कान्हड़दे उठि।।
विलबइ बे सती (A )
राग यासी,धुल मोडवि मिलिय महासमी सी उढणि मवर गपाट कि
जीतर सहीय बधामp ए ||२४|| हियडा हरप अपार कि, सभी बोलइ माल वीर कि।
गीता सहीय बधाम २ ।।चली।। २४|| हार निगोद बहिरषा, सबी र रणपाकार कि
जीता सहीय बधामधूं ।। १४५।। इसी तरह राग सिधडउ (पद १५४-१५८) राग अंदोला, धन्याधी (पद १५१-५७) राग गिरी (पद २४१-२३५ got.) बादि प्रसिद्ध रागों का प्रयोग हुआ है। बहुत सम्भव है कि कवि में अपनी लोक संगीत तक प्रवृति का भी विकास किया हो। गाली राम का एक उदाहरण देसिप:
गइ लबडी सये साडी, मेडी सीन रा निहायी। टोमे बाबीब, माई रोगावीय जातार परमा बचावीर अंबरी गोहानी परवाहमाली भाग मा पोकानी ।
भाना, बी वाला वीर मर ज्यों पम्मान भावना ५ वही रत्मीयाम मरवान वीरला भाभि निरिमामय (1)