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साहित्य fear गया होगा जो सम्भवत: शोध होने पर उपलब्ध हो। अतः ऐसी स्थिति में वीं से रवीं वयाब्दी में उपलब्ध अपप्रेश साहित्य के आधार पर ही इस साहित्य कामूल्यांकन किया जा सकताहै । वस्तुतः यह साहित्य वीं शताब्दी से ही उपलब्ध होता है।
२- स्वर्णकाल
अपभ्रंश के टवीं से १३वीं शताब्दी के इस काल की उपलब्ध - साहित्य के आधार पर स्वर्णकाल कहा जा सकता है, क्योंकि इस काल में स्वयंभू पुष्पदन्त, धनपाल, नयनंदी, पाहिल, चवल आदि अनेक महाकवि पैदा हुए है। अतः इस काल में उपलब्ध साहित्य बड़ा विपुल है। स्वयंपू अपभ्रंश के पहले कवि घोषित किए जा सकते है। स्वयंमू के पश्चात् तो अपभ्रं काव्यों की परम्परा अत्यन्त समृद्ध होती गई और अप काव्यों की रचना १७वीं शताब्दी तक भी मिलती है। परन्तु १२वीं शताब्दी से ही अप के रूपों में पर्याप्त परिवर्तन होने लग गया था अतः ये परिवर्ती अपभ्रंश रचनाएँ अधिक सबल और सशक्त नहीं प्रतीत होती ।
स्वर्णकाल में प्रयुक्त अथ के काव्य प्रन्थों का विभाजन इस प्रकार किया जा
सकक्षा
१०
1
प्रबन्ध काव्यों की श्री में माने वाले काव्य है
महापुरान
पुरान
पति काव्य
४.
1
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महा
स्यात्मक प्रय
काय
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新
देवक
लोग स्वगादि
उपदेशात्मक काव्य