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श्रीवयर स्वामी गुरु अनुक्रमि चिट दिसे चंद्रकुल पउपट जाणिए ए চণ্ড ব্যথায় গরি সাত রং গচ্চ শাসি।'
रवना के पदों का ऐच प्रथा राग विश्लेषण इस प्रकार है:कही ११ राग देशका
. चौपाई, राग देशाय की छाया। - राम राजवलम, अवैवा की देखी। ६-२३ सोरता का एक पद, शव पद साथ तथा राग यात्री २४-२५ राग न्यासी पाली अव का महत्वपूर्ण प्रयोग
वामिया मिरिवाहि मन जैन मैकमहीधरो मणि माहि गियर बेभसुरमणि जेम प्रगति विनयरी प्रिम देव दानव माहि गरुक गयए अमरेसरो तिम मर्यल पE मा गम्भउ राजगच्छ सुखरतरो।'
पद बाले
पोका योग हन्टब्धयाहिए या प्रयोग किया गया है।गीस और के समय करकार का प्रयोग इन्टव्य है।
गापिया विहित विरोगविर बसुन र पाटि सिंगार पुीि पिंड विवादिकरो
इमिगी रोमिव भी जिनमरि पुरो माहेली बातम मे को इन पदों की बात मधुर बमा थि :
पाळी मार देवरि पुरानर श्री जिलबलपूरे मासी पण प्रापबमविष बन भमति उगति पूरे
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षिणालित न गम्बरा बगरकन्द नाइटा. पृ. ४॥