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(4) भरतेश्वर बाइबली राम- (2वीं शताब्दी)
मिबंध रचना का प्रारम्भ किया गया है। तथा (6 ) (e ) मा ाओं की तीन पदों की १५ कड़ियों में मिश्रबंध है। कवि ने इस छद को रासईद कहा है। कवि ने अपने द स्पष्ट कहा :रास या रासक आंदईडिव पाणिस रासह विहि
मम हर मन आबंबहि
पाविति भवीण मामलयो । डा. भायागी ने संवर रासक की भूमिका रास द में दोहा, अडिल्ल,पत्ता, दुल्हन, माया रडा, बोमा, हडणिया, भद्घाडिया आदि सब को सम्मिलित किया है, पर विराम राम के लक्षण असो नहीं मिलते। डा. हजारी प्रसाद द्विवमेवी रासदको १५ मा Tों का कहते है। संदेवरासक का एक रासक च देखिए:
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हुडवि शिक्षित समावति किस रख पारि परतावर माहुबली राम का रामब देखिए
गुण पहर भंगार सालिमानि मामीटर
कीय प बीपि वरिष भरत नरेवर राइदिई इस दिवपदी मिलती है। बिकने अपने बुल्स आदि समय दो प्रकार के Tों का किया है। विपदी और दूसरे में विवारीत्या :
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१-परश्वर कामठी रासाबीबाट वामगोपी.स
- - - ४. परावर बाकी