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सम्यकू अध्ययन नहीं हो जाय तब तक इन रचनाओं का निरपेक्ष दृष्टिकोण से मूल्यांकन कर सकमा असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है । अतः इन आदिकालीन हिन्दी जैन काव्यों की कथा परंपराओं (cycles तथा कथा रूढ़ियों Holts and types का अनुशीलन अत्यावश्यक है।
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