SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/१३ उसकी शारीरिक, भौतिक, नैतिक और आध्यात्मिक प्रगति में बाधा बनी हुई है। ___ अँगरेज़ों की आर्थिक नीति के कारण यदि एक ओर भारतवर्ष की कृषि-संपत्ति का ह्रास हा, तो दूसरी ओर उद्योग-धंधे और वारिणज्य व्यवसाय पूर्ण रूप से नष्ट हो गए । उद्योग-धन्धों के नष्ट हो जाने पर राष्ट्रीय सम्पत्ति के एकमात्र साधन कृषि के ह्रास से भी अधिक भयावह परिणाम हुए । यहाँ की प्राकृतिक सम्पत्ति का भी उचित रूप में प्रयोग नहीं किया गया । यह स्मरण रखना चाहिए कि पूंजीवादी-साम्राज्यशाही . सभ्यता ने भारत में वैज्ञानिक साधनों का वहीं तक प्रचार किया जहाँ तक उसे आर्थिक या सैनिक लाभ होने की सम्भावना थी। नहरों से पैदावार बढ़ी, पर किसानों में खेती करने के नवीन वैज्ञानिक साधनों का प्रचार न किया गया। रेलों के प्रचार से माल के एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में खर्च की कमी और सुविधा हुई, पर उससे जिस नवीन औद्योगिक संगठन की आवश्यकता थी, उस ओर बिल्कुल ध्यान न दिया गया। मिल और कारखाने भी इस ढंग से स्थापित किए गए कि भारत के लोग अधिकाधिक साम्राज्यवादी आर्थिक नीति पर निर्भर रहें । प्रत्येक उपनिवेश में साम्राज्यवादी सभ्यता की यही नीति रही है । थोड़े से नए उद्योग-धन्धों तथा चाय, सन आदि की पैदावार बढ़ाने में विदेशी पूंजी का ही अधिक भाग था। अधिकांश मुनाफ़ा विदेशी पूँजीपतियों के हाथ चला जाता था। भारत के परम्परागत उच्च श्रेणी के व्यापारी वर्ग को इन उद्योग-धन्धों और वाणिज्य-व्यवसाय से लाभ अवश्य हुआ, किन्तु उससे जन-साधारण की निर्धनता की समस्या हल न हो सकी । कुछ लाख श्रमिकों को काम मिल जाने से भी राष्ट्रीय आय में कोई वृद्धि न हुई । उद्योग-धन्धों के नष्ट होने से कृषि क्षेत्र में संकट उपस्थित हो ही गया था। उद्योग-धन्धों के नष्ट और कृषि-कर्म के प्रधान हो जाने के मुख्य कारणों के अतिरिक्त कृषि की प्रगति के साधनों का अभाव, भारत सरकार का इँगलैण्ड में शासन-व्यय तथा अन्य अनेक प्रकार के कों,
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy