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पथिक
भूले पथिक, कहाँ फिरते हो? थिर हो वैठ, हृदयमें सोचो, अमित कालसे क्या करते हो ?
मार्ग विपर्यय है यह तेरा, अनय असुरने किया अँधेरा , विषय-व्यालने तुझको घेरा ,
ज्ञान-प्रकाश जगा जीवनमें , जनम-मरण दुख क्यों भरते हो?
करण-कंटकाकीर्ण विजनमें, मनोवृत्तियोंके भव - वनमें , राग - द्वेषके शल्य - सदनमें ,
मायाके फर्फन्द जालमें जान-बूझ क्यों पग धरते हो?
तेरा है जगसे क्या नाता , सोच, अरे, क्यों भूला जाता, • काम-क्रोध-मद क्यों अपनाता ?
कुटिल कालके चंगुलमें फंस , अन्ध-कूपमें क्यों गिरते हो? भूले पथिक, कहाँ फिरते हो ?