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मेरा संसार
दुख भरा संसार मेरा । कर रहा है वेदनाके
साथ आहोंपर बसेरा। छिप रहा कुचले हृदयका, करुण क्रन्दन-नाद इसमें , मूक-प्राणोंका महा सन्ताप है आबाद इसमें ,
अश्रु-पूरित लोचनोंमें है समाया प्यार मेरा।
दुख भरा संसार मेरा। करुण-क्रन्दन सुन बधिर-सा हो गया है यह गगन तल , आज, धुंधले बन गये हैं, आह, मेरे चित्र उज्ज्वल ,
कौन हलका कर सकेगा ? वेदनाका भार मेरा।
दुख भरा संसार मेरा। समझता संसार मेरे करुण रोदनको बहाना , उमड़ता उन्माद मेरा, आह, किसने आज जाना ,
कौन सुनता है, अरे, यह .मौन हाहाकार मेरा।
दुख भरा संसार मेरा।
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