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आपके कवि-जीवनको एक झांकी सम्मान-समिति द्वारा प्रकाशित पत्रिकाने इस प्रकार कराई है:
"अपने यौवनके प्रारंभमें उन्होंने कदिके रूपमें अपने साहित्यिक कार्यका प्रारंभ किया था और मेरी भावना' नामक एक छोटी-सी पुस्तिका लिखी थी। योरोपको राजनैतिक पार्टियोंके चुनाव मैनिफेस्टों ( manifesto ) की तरह यह उनको जीवन-साधनाका 'मैनिफेस्टों (घोषणापत्र) था। इसकी लाखों प्रतियाँ अभी तक छप चुकी हैं। भारतवर्षको अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, गुजराती, मराठी, कनडी श्रादि अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। अनेक प्रान्तीय म्युनिसिपल और डिस्ट्रिक्ट बोर्डको संस्थानोंने इसे राष्ट्रीय गानादिके रूपमें स्वीकार किया है और वहाँ नित्य प्रति इसकी प्रार्थना होती है। हिन्दीमें इस पुस्तकका प्रकाशन वितरण और विक्रीका शायद अपना ही रिकार्ड है। ___अनेक संस्थाओंके सार्वजनिक उत्सवोंका प्रारंभ इसी प्रार्थनासे होता है। न जाने कितने अशान्त हृदयोंको इतने शान्ति प्रदान की है और कितनोंको सन्मार्गपर लगाया है। उनकी कुछ कविताएँ 'वीर-पुष्पाञ्जलि के नामसे २३ वर्ष पहले प्रकाशित हुई थी। उसके बाद भी 'महावीर-सन्देश' जैसी कितनी ही सुन्दर भावपूर्ण कविताएँ लिखी तथा प्रकट की गई हैं।"
संसारके साहित्यके लिए और मानव-जगत्के लिए 'मेरी भावना एक जैन-कविकी इस युगकी बहुत बड़ी देन है। और 'आधुनिक जैन-कविका प्रारम्भ इसी कविता-इसी राष्ट्रीय प्रार्थना-से हो रहा है ।
काव्य-जगत् और कार्य-जगत् दोनोंमें पं० जुगलकिशोरजी मुख्तार सच्चे 'युगवीर सिद्ध हुए हैं।