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श्री सौ. सरोजिनीदेवी जैन
सौ. सरोजिनीदेवीजी 'वीर' के प्रसिद्ध सम्पादक श्री कामताप्रसादजी की सुपुत्री हैं। श्रापका जन्म ता० १ जून १९२६ को अलीगंज (एटा)में हुआ था। सन् १९४३ में आपने 'लोअर मिडिल'को परीक्षा प्रथम श्रेणीमें पास की थी, जिसमें द्वितीय भाषा-उर्दूमें आपको 'डिस्टिक्शन' मिला था। इस प्रोरको जैन समाजमें आप पहली सुलेखिका
और कवियित्री हैं। सन् १९४३में आपका विवाह दि० जैन परिषद् कायमगंजके उत्साही अग्रणी-युवक श्री सुमतिचन्द्रजीके साथ हुआ था। श्री सरोजिनीदेवीने भा० दि० जैन परिषद् परीक्षा बोर्डकी कई धार्मिक परीक्षामों में प्रथम श्रेणीमें उत्तीर्णता पाई है और पुरस्कार भी पाया है। ___ "जैन महिलादर्श"में आप वरावर सुन्दर लेख और मोहक कविताएँ लिखती रहती हैं। आपकी कवितामें स्वाभाविक गति है और आपकी दृष्टिमें मौलिफता है। प्रसिद्ध कवियित्री श्री मणिप्रभादेवीने लिखा है कि "सरोजिनीने कविता सुन्दर शब्दावलिमें गूंथी है-भावकी दृष्टिसे भी (उनकी फविता) फाफ़ी अच्छी है। (इन्होंने) डाली तथा कुसुमका वड़ा सुन्दर और शुद्ध साहित्यिक संवाद लिखा है। इनकी अब तककी रचनाओं में यह सबसे श्रेष्ठ रचना है । सरोजिनी इसी तरह उत्तरोत्तर उन्नति करती रहें। (वह) धीरे-धीरे खूब विकसित होती जाती हैं।"
-जैनमहिलादर्श
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