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शब्द, शब्द सन्देश दे रहा
कहाँ न्याय अन्याय लड़ा है। पग, पगपर रोना ही है तो फिर पावन त्योहार कहाँ है ?
आज हृदयमें प्यार कहाँ हैं?
उस पावन मेवाड़ भूमिपर,
अन्यायोंका प्यार पला था, राजपूत ललनाओंका जहँ,
रूप और सौन्दर्य जला था, धधकी थीं ज्वाला-मालाएं जहाँ, आज प्रासाद वहाँ हैं !
आज हृदयमें प्यार कहाँ है ?
कभी नहीं भूलेगा भारत,
अरे बाग़ जलयानावाला, पापी सर ओ डायरने जह,
बहा दिया था खूनी नाला, उसके रक्त-बिन्दुओंसे ही लिखा गया इतिहास वहाँ हैं !
आज हृदयमें प्यार कहाँ हैं ?
शासक वर्ग भवन कहता है,
भाग्यहीन खंडहर हैं फूट, जिसे शृंखला समझा पागल,
वह तो सव बन्धन है टूटे, मरघट कहते हैं हम जिनको, फैली जौहर राख वहाँ हैं !
आज हृदयमें प्यार कहाँ हैं ?
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