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श्री सुरेन्द्रसागर जैन, साहित्यभूपण
आपकी जन्म भूमि दलिपपुर (मैनपुरी) है और वर्तमान निवास कुरावली ।
आपकी शिक्षा मैट्रिक और साहित्यभूषण तक ही हुई है, फिर भी कवित्वका वीज आपमें जन्मजात है । आपकी रचनायें प्राञ्जल भाषा, गम्भीर भाव और मधुर कल्पनात्रोंका सुन्दर सम्मिलन है ।
परिवर्तन
कहाँ वह हँसता-सा कहाँ वह स्वर्णिम आज रुदनका होता ताण्डव नृत्य, प्रात छाता तम-तोम महान् ॥
उपाकी मंजुल मृदु मुसकान, मुदित करती मानवके प्राण । दिशात्रोंमें अव है
प्रच्छन्न,
हुए शोकातुर मानव
म्लान ॥
मधुमास ? विहान ?
कूजते
प्रात
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नीड़में विहग और गाते थे सुन्दर राग !
राग अभिराम ?
किया विराग ! !
कहाँ वह गए
खगोंने धारण
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