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इस तरह अनेकों इस जर्जर सीनेसे कुटिल प्रहार सहे , इन पके हुए फोड़ोंपर भी दुष्कृत्य अनेकों वार सहे। नहिं सह सकता हर्गिज़ आगे दुर्दान्त दासताके वन्वन , नहिं सुन सकता हर्गिज़ आगे पद दलित प्रजाके नित क्रन्दन । हममें वल है उजड़ी वगियाको गुलशन पुनः बना देंगे, लेकिन इन काले कृत्योंका तुमसे भरसक उत्तर लेंगे। मेरे इस विकल घरकते दिलसे निकलेंगी चीत्कारें, सत्ताधीशोंके महलोंकी हिल जाएंगी दृढ़ दीवारें। मेरी वाहोंमें वह वल है सौदामिनि दिश-दिश तड़क उठे, मेरी बाहोंमें वह वल है विप्लवकी अग्नी भड़क उठे। मेरे लघु एक इशारेपर अम्बरके तारे टूट पड़ें, वस मेरे फ़क़त इशारेपर ज्वालागिर दिश-दिश फूट पड़ें। मैं हिलू, डगमगा उठे भूमि, मुर्दा कन्नोसे बोल उठे, अंगड़ाई लेने लगे विश्व अविचल सुमेरु भी डोल उठे। मैं वह सैनिक जिसको मरनेसे किंचित् होता क्षोभ नहीं, माँकी गोदीकी ममता या यौवनके सुखका लोभ नहीं। हम नहीं हिलाये जा सकते शस्त्रोंके कुटिल प्रहारोंसे , अव नहीं दवाये जा सकते जुल्मों औ अत्याचारोंसे । हम साम्यवादके दूत हलाहलको हँस-हँस पीनेवाले , हम आजादीके पूत मौतसे लड़-लड़कर जीनेवाले। है आज फैसला जगकी आज़ादीका या पालादीका , जन रक्षामें उलझा सवाल है दुश्मनकी वरवादीका। कर देंगे चकनाचूर शत्रुको इन फ़ौलादी पांवोंसे , शासन जनताका जनतापर करवा देंगे निज प्राणोंसे। रहने नहिं देंगे दुनियामे हम भाग्य विधाता ए पैसे , कंगालोंकी भूखी टोली फिर आएगी आगे कैसे ?
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