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पुनर्मिलन मेरी जीवन कुटियामें तुम एक बार फिर आना।
जीवन - वमन्नमें मेरे जब छाई हो अरुणाई , कोकिलके पुलकित स्वरने
हो प्रेम रागिनी गाई; जीवनके पुनर्मिलनमें मैंने तुझको पहचाना।
मै मृदुल मालिनी भोली नू मन्त्र-मुग्य-सा योगी, तेरे वियोगमें मेरी
अन्तर्बाला क्या होगी: म्वर क्षीण हुई वीणाकी तन्त्रीके तार जगाना।
मेरे जीवन • उपवनमें जब मुरभित नुमन खिले हों, चिर-चिर अनन्तके पथमें
कलियोंसे मयुप मिले हों: लहरोके फेनिल पयमें बस एक वार मुस्काना।
हों चन्द्र देव, प्रिय रजनी ये निलमिल नमके तारे, मैं शून्य वासिनी जगकी
ये ही हैं एक सहारे; सहना विलीन हो निमि फिर भूल मुझे मत जाना। मेरी जीवन कुटियामें तुम एक बार फिर पाना॥
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