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स्वर्गीय बन्धु रा०प० श्री चांदमलजी नाहर के स्मरणार्थ भेंट.
NOT TO BECUE SE श्री तत्त्वदीपिकाव्याख्यासमेता
.... OK जैनसिद्धान्तकौमुदी
अर्धमागधीच्याकरणम् ] पूवार्द्ध-अव्ययपर्यन्तम्
रचयिताभारत रत्न शतावधानी पण्डित मुनि श्री रत्नचन्द्रजी महाराज
प्रकाशक-.
परेलीनिवासी श्री. नगराजजी नाहर, मु० जयपुर
प्राप्तिस्थान-श्री जैन गुरुकुल, ब्यावर ( राजपूताना)
प्रथमावृत्ति
श्रमूल्य
विक्रमाउद १९९२ वीराब्द २४६.