SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 761
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ५५.. ], कारण तामसी, राजसी, सात्विकी ये तीन प्रकार के भोजन है। इसमें से तामसी भोजन करने से तामसी वृत्ति आती है इसलिये धार्मिक पुरुषों को तामसी भोजन के खाने से बचना चाहिये । उपरोक्त जो कन्द ( अभक्ष्य ) वर्णन किये गये है ये सब तामसी है । “राजसी भोजन” साधु तथा श्रावक दोनोंको खाना मना है कारण उसमें शुद्धाशुद्धिका विचार रहने की आशा बिलकुल नहीं होती इसलिये राजसी भोजन राजाओं के लिये ही है, साधु और श्रावकों के लिये नहीं । अतः दोनों को इस भोजन से बचना चाहिये । "सात्विकी भोजन” सब से श्रेष्ठ है विचार से यदि बनाया जाय तो निर्दूषित और शान्तिप्रद होता है । इसीलिये फलाहार तथा शाकाहार करने की मनाई नहीं की गई है। महीने की बारह तिथियों में श्रावकों को फलाहार तथा साकाहार करने की मना ही की गई है। उसका खास कारण यह है - २-५-८ ज्ञान तिथि ११-१४-३०-१५ चारित्र तिथि है । इन तिथियों में शास्त्रों का पढ़ना पढ़ाना, सुनना सुनाना तथा चारित्र पालन करने का विधान है। श्रावक लोग इन बातों से विमुख हो गये इन बातों की यादगारी के लिये इन तिथियों में आचार्यों ने सचित्त का त्याग रक्खा है । इन्हीं तिथियों मे आगे की गती का वन्ध भी पड़ता है इसलिये पाप से जितना भी बचा जाय उतना बचे और संवर भाव धारण करे ताकि आगे की गती खोटी न बंधे । इसलिये इन तिथियों मे सचित्त का त्याग रक्खा गया है। यह त्याग व्रती श्रावकों के लिये है । फल अनार,अनारस,(अनन्नास) अमरूद, अलूचा, अमडा, आम, आडू, आलू बुखारा आंवला, ऊख, अंजीर, अंगूर, ककड़ी, केला पका, कटहल, कमलानींबू (संतरा), कमलगट्टे का छत्ता. कमरख, कइत्थ, (कथा) कुष्माण्ड (पेठा), कागजी (नीधू), खरबूजा, खजूर ( पिंड), खीरा, खुरमानो, खोरना, खीरणी ( खिन्नी), खट्टा ( नीबू पंजाब ), गुलाबजामुन, गुलहर, गोंदनी, गन्ना ( पौण्डा), चिरमिट, चकोतरा ( विजोरा ), जमरूद (टींवरू ), जामुन, जमीरी ( नीबू ), टिपारी ( पिटारी रस भरी ), डाब ( कच्चा नारियल ), तरबूज, तलकुन ( बंगाल में होता है ) दुश्यान (सिंगापुर), नारंगी, नागफली, नींबू (पाती), नासपाती, नारियल, पपीता काकडी ( एरण्ड ), पीचू, पेठा, पीलू, फालसा, फरेन्दा, फूट, वेर, बादाम ( पात बंगाल ), बेल, वेनची, भुट्टा, गुस्तीन (सिंगापुर), मौसमी ( मीठा नींबू), मालटा महुआ, लोकाट, लीच, सेव, सिंघाड़ा, सफेदा सहतूत (काला, सफेद, हरा, लाल), सरदा ( सरधा ) सरवती ( नींबू बम्बई), शरीफा (सीताफल ) । मेवा काजू, बादाम, किसमिस, अखरोट, नोजे, पिस्ता, चिरौंजी, मुनक्का, छुआरे । फूल कमल, केवड़ा, कुमुदिनी, कामिनी, केतकी, कुन्द, कनेर, गंदा, गुलाव ( पांच तरह के ), गुढैल, चम्पा, चन्द विकासी (कमल), चमेली, जूही, जाई, दामिनी, दमनक, नरगिस (नील कमल पुण्डरीक कमल, पद्मनी कमल, वकुल, बेला, नाग, पुन्नाग, मल्लिका, मरवा, मचकुन्द, मोगरा, भोतिया, मालती, रजनीगंध, रात की रानी, लाखी, वासन्ती, सूर्य विकासी ( कमल), श्वेत कमल, हसीना, हार सिंगार । -
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy