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रास तथा सज्झाय-विभाग
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॥दोहा॥ ऐसे धर्म जिनेसरू, पहुंता पद निर्वाण । शिखर समेत गिरिन्द पर, नमो नमो जग भाण ॥
॥ ढाल ॥ रत्नपुरी नगरी भणी जी, भानुराय सुजान । रानी सुव्रत मातने जी, धर्मनाथ गुण खान ॥१॥ जगतपति धर्म जिनेसर सार, धनुष पैंतालीस तनु कह्यो जी, वज्र लंछन सुखकार ॥२॥ चौतीस गणधर मुनि कह्या जी, चौसठ सहस प्रमान । श्रमणी बासठ सहस स्यूं जी, श्रावक दोय लक्ष मान ॥३॥ चार सहस बलि ऊपरां जी, चौ लख एक हजार । श्रावकणी संख्या कही जी, दश लक्ष आयु विचार ॥४॥ किन्नर सुर कन्दर्पा सुरीजी, एक सहस परिवार । सम्मेत शिखर सुगतें गया जी, बंदू बार हजार ॥५॥ हस्तिनापुर विश्वसेननाजी, अचिरा मात उदार । शान्ति जिनेसर जनमिया जी, त्रिभुवन जय जयकार ॥ ज० ६ ॥ मृग लांछन सोवन समो जी, देह धनुष चालीस ।' आयु वरष इक लाखनो जी, छत्तीस गणधर सीस ॥७॥ बासठ सहस मुनि छ सँ जी, इगसठ श्रमणी हजार । दोय लाख श्रावक कह्या जी, ऊपर नेऊ हजार ॥८॥ सहस त्रया' श्राविका जी, तीन लाख परिवार । गरुड़ यक्ष निरबाणी सुरीजी, श्रीसंघ सांनिधकार ॥९॥ नव सै मुनि परिवार स्यूं जी, आया शिखर समेत । मास खमण कर सुगति में जी, पहुंता निज पद हेत ॥१०॥ ऐसे हस्तिनापुर भलो जी, राजा सूर सुतात । कुन्थुनाथ जिन जनमियां जी, कंचन तनु श्री मात ॥ जगतपति कुन्य जिनेसर सार ॥११॥ छाग लंछन पैंतीसनो जी, धनुष देहनो मान । सहस पच्याणवे वरसनो जी, आयु प्रभुनो जान ॥१२॥ पैतीस गणधर दीपता जी, साठ सहस मुनि जान । छ सै साठ सहस वली जी, श्रमणी संख्या मान ॥१३॥ सहस गुणियासी लक्षनी जी, श्रावक संख्या होय । सहस इक्यासी तीन लाखनी जी, श्राविका संख्या जोय ॥१४॥ सात से साधु परवरया जी, देवी वला गन्धर्व । कुन्थुनाथ मुगते गया जी, मास संलेखना - सर्व ॥१५॥
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