________________
रास तथा सज्झाय-विभाग
Talathishusai kata sakal
प्रवचनपत्रपत्रमा पत्रपत्रिप्रपत्र-
प्रसाधनणप्रत्रतत्रभवनप्रवचन-
भविक कमल प्रतिबोधतां, सेवे सुरनर यक्ष लाल रे। दस लाख पूरब आउखो, तेणवे गणधर यक्ष लाल रे ॥८॥ दोय लाख सहस पचाणवे, मुनि श्रमणी तीन लक्ष लाल रे । असी सहस संख्या कही, श्रावक चलि दोय लक्ष लाल रे ॥९॥ लाख पचास ऊपर वली, श्राविका चउ लक्ष धार लाल
रे । सहस इकाणवे ऊपरे प्रभु जीवा परिवार लाल रे ॥१०॥ विजयदेव . भृकुटी सुरी, सहस साधु परिवार लाल रे। संलेखन एम मासनी, पुहता में मुक्ति मझार लाल रे ॥११॥
॥दोहा॥ जय श्री सुविधि जिनेसरू, जगपति दीन दयाल । समेत शिखर मुगते गया, भविजन के प्रतिपाल ॥१॥
॥ ढाल ॥ नयर काकन्दी नरपति, एम पिता सुग्रीव । देवी रामा माता सुत, भय सुविध सुभ जीव ॥१॥ रजत वरण सम तनु सत, धनुष एक परिमाण । दोय लाख पूरब कह्यो, प्रभुनो आयु सुजाण ॥२॥ अठ्यासी संख्या भए, गणधर परम प्रधान । लख दो मुनि विंशति सहस, इक लख श्रमणी जांन॥३॥दोय लक्ष श्रावक कह्या, अरु गुणतीस हजार । एकहत्तर चौ लख सहस, श्रावकणी सुविचार ॥४॥ सुरी सुतारा सुर अजित, श्री संघ सांनिधकार । सहस साधु परिवार सं, आए शिखर सुचार ॥५॥ मास संलेखण कर प्रभु, मुक्ति गए इह ठोर । तीरथ महिमा महियले, प्रगटी चारूं ओर ॥६॥ इम हिज शीतलनाथनो, हिव सुणज्यो अधिकार । भदिलपुर दृढ़रथ पिता,
माता नन्दा सुखकार ॥७॥ लंछन सुभ श्री वत्सनो, श्री शीतल जिनचन्द । * कंचन वरण नेउ धनुष, मान शरीर अमंद ॥८॥ एक लाख पूरब कह्यो, 1 प्रभुनो आयु प्रमाण । इक्यासी गणधर कह्या, मुनि इक लाख सुजाण ॥९॥ ई एक लाख चालीस सहस, श्रमणी संख्या ओर । सहस तयांसी दोय लख,
श्रावक संख्या जोर ॥१०॥ सहस अठावन लक्ष चउ, श्रावकणी सुविचार । देवी अशोका ब्रह्म यक्ष, सह संघ सांनिधकार ॥१॥ शिखर समेत सहर
.twariaterala kalaimadarthataklahrkotekstanishal Awakadhikalikahistatolakakakakeelatar.ketiri
मनचयनxx172014-
11-
2014
k thaxkalatakindrekhawlatantarwas
a