________________
wanan
MAANA
"YahalalalalastmasharaS
E
EMAREsanilianRRES
स्तवन-विभाग
५७६ म हत्यारी । मूढ़ गमार तणे भवे, मैं जूं लिख मारी ॥ ते. २४ ॥ भड़ भंजा
तने भवे, एकेन्द्रिय जीव । ज्वारी चणा गेहूं सेकिया, पाडता रीव ॥ते०२५॥ खांडण पीसण गारना, आरम्भ अनेक । रांधण इंधण आगिना, किया पाप उदेग ॥ ते. २६ ॥ विकथा चार कीधी वली, सेव्यां पंच प्रमाद । इष्ट वियोग पाड्या किया, रोदन विषवाद । ते० २७ ॥ साधु अने श्रावक तनां, व्रत लेइ भांग्या । मूल अने उत्तर तणां, दूषण मुझ लाग्या ॥ ते०२८॥ सांप विच्छू सिंह चीतरा, शिकराने शभली । हिंसक जीव तणे भवे, हिंसा कीधी सबली ॥ ते. २९ ॥ सूआवडी दूषण घणा, वली गरभ गलाव्यां । जीवाणी डोल्या घणां, शील व्रत भंजाव्यां ॥ ते. ३० ॥ भव अनन्त भमतां थकां, किया कुटुम्ब सम्बन्ध । त्रिविध त्रिविध करि, वोसरूं तिणसं प्रतिबंध ॥ ते० ३१ ॥ भव अनन्त भमतां थकां, कीधां परिग्रह सम्बन्ध । त्रिविध त्रिविध करि वोसलं, तिणसं प्रतिबंध ॥ ते. ३२ ॥ इणभव परभव इण परे, कीधां पाप अखत्र । त्रिविध त्रिविध करि वोसरूं, करूं जन्म पवित्र ॥ ते० ३३ ॥ राग वैरागी जे सुणे, ए तीजी ढाल । समय* सुन्दर कहे पाप थी, छूट तत्काल ॥ ते० ३४ ॥
____पुण्य प्रकाश आलोयण" वृद्ध स्तवन सकल सिद्ध दायक सदा, चौवीसे जिनराय । सद्गुरु सामिनि सरसती, प्रेमे प्रणमूं पाय ॥१॥ त्रिभुवनपति त्रिसला तणो, नंदन गुण गंभीर । शासन नायक जग जयो, वर्द्धमान वड वीर ॥२॥ इक दिन वीर जिनंद ने, चरणें करि परिणाम । भविक जीवना हित भणी, पूछे गोयम स्वाम ॥३॥
* यह आलोयण स्तवन समय सुन्दर जी का बनाया हुआ है।
• आलोयण वृद्ध स्तवन दोनों पद्मावती आलोयण पुण्य प्रकाश आलोयण ये चारों ही आलोयग स्तवन अन्त समय मे अर्थान् जब तक होशोहवास ठीक रहे और अच्छी तरह। सुन सके तव ही श्रावक श्राविका को सुनाना चाहिये यदि होशोहवास ठीक न रहे और सुनने की नए शक्ति नष्ट हो जाय तब इन स्तवनों के सुनाने का क्या लाभ केवल रूढी मानना अन्त्य समय में , में धर्म अवश्य सुनाना चाहिये। इतना ही नियम पूरा करने का लाभ हो सकता है सुनने वाले
को कुछ नहीं।
EASEMIKAKKbYoMMEROEMtatishiladikichamtatestantsh
rintuitatestle