________________
1-1-YYYYY
KKKKKKK
५३६
जैन - रत्नसार
आयो परणायो राजान ||१९|| कुमर पदे प्रभु रहितां काल सुखें गमे ए, आयो मन वैराग संयम लेवा समे ए । तब लोकान्तिक देव जणावे अवसरु ए, देइ सम्वत्सरी दान याचक जन सुख करूं ए ||२०|| स्वामी संयम लेइ इन्द्रादिक सब मिल्या ए, देश विदेश विहार करी करम निरदल्या ए । पामिय केवलज्ञान सरे महिमा करिए, थापिय चउविह संघ मुगति रमणी are ||२१|| इम श्री गौड़ी पास तणा गुण जे नर गावें, तेह नर नारी इह परलोकसुं वंछित पावें । संघ करी संघ पतीजी के गवड़ी पुर जावें, चीर धाड़ संकट टले विघन बुराइन आवे ||२२|| धरणराय पउमावइ जास बहे सिर आण, सांवल वरण सुशोभित नवकर काय प्रमाण | कल्पवृक्ष चिन्तामणि काम गवी सम तोले, श्री गुणशेखर सीस समय रंग इणपरि बोले ||२३||
1
wwwwww www.w
मौन एकादशी का स्तवन
समवसरण बैठा भगवन्त, धर्म प्रकाशे श्री अरिहन्त । बारे परषदा बैठी जुड़ी, मगशिर शुदि इग्यारस बड़ी || १ || मल्लिनाथ ना तीन कल्यान, जनम दीक्षा ने केवलज्ञान । अर दीक्षा लीधी रूवड़ी || मग० २ || नमिने उपनों केवलज्ञान, पांच कल्याणक अति परधान । ए तिथि नी महिमा ए बड़ी ॥ मग० ३ ॥ पांच भरत ऐरवत इमहीज, पांच कल्याणक हुए तिमहीज पंचासनि संख्या परगडी ॥ मग० ४ ॥ अतीत अनागत गनता एम, डेढ़ से कल्याणक थायें ते । कुण तिथ छे ए तिथि जे बड़ी || भग० ५ ॥ अनन्त चौवीसी इन परें गिनो, लाभ अनन्त उपवासा तनो । ए तिथि सहु तिथि शिर राखड़ी || मग० ६ ॥ मौन पने रह्या श्री मल्लिनाथ, एक दिवस संयम व्रत साथ । मौन तनी परी व्रत इम पड़ी || मग० ७ ॥ अट पहरी पोसो लीजिये, चौविहार विधि सूं कीजिये । पण परमाद न कीजे घड़ी || मग० ८ || बरस इग्यार करो उपवास, जावज्जीव पन अधिक उलास । ए तिथि मोक्ष तनी पावड़ी || मग० ९ ॥ ऊजमणं कीजे श्रीकार, ज्ञान नां उपगरण इग्यार इग्यार । करो काउसग्ग गुरु पायें पड़ी || मग०