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स्तवन-विभाग
कापन्चनपन्चनप्रपत्र नत्रनयन्त्रणमन्त्रमन्त्र-त्रणप्रत्रनयनननननन्धमत्र-चनमम प्रध
॥ दोहा ।। मनसं बिहिनो तुरकडो, माने वचन प्रमाण । बीबीने सुहणा तणो, संभलावे सहि नाण ॥१० ॥ बीबी बोले तुरकने, बड़ा देव है कोय । अवस ताव परगट करो, नहिं तर मारे सोय ॥११॥ पाछली रात परोडिये, पहली बांधे पाज । सुहणा मांहे सेठने, संभलावे यक्षराज ॥१२॥
॥ ढाल ॥ ___ एम कही यक्ष आयो राते, सारथवाहने सुहणे जी। पास तणी की प्रतिमा तूंले जे, लेतो सिर मत धूणे जी ॥ एम० १३ ॥ पांच सै टक्का
तेहने आपे, अधिको म आपिस वारूं जी। जतन करी पहुंचाडे थानक, प्रतिमा गुण संभारे जी ॥ एम० १४ ॥ तुझने होसी बहु फल दायक, भाई गोठी ने सुणजे जी । पूजिस प्रणमिस तेहना पाया, प्रह ऊठीने थुणजे जी ॥ एम० १५ ॥ सुहणो देईने सुर चाल्यो, आपणे थानक पहुंतो जी। पाटण माहे सारथवाहू, हियडे तुरकने जोतोजी ॥ एम० १६ ॥ तुरके जाता दीठो गोठी, चोखा तिलक लिलाडे जी। संकेत पहुँतो सांचो जाणी, | बोलावे बहु लाडे जी ॥ एम० १७ ॥ मुझ घरि प्रतिमा तुझने आपू, पास जिणेसर केरी जी। पांच से टक्का जो मुझ आपे, मोल न मांगू फेरी जी ॥ एम० १८ ॥ नाणो देई प्रतिमा लेई, थानक पहुँतो रंगे जी । केशर
चन्दन मृगमद घोली, विधिसूं पूजा रंगे जी ॥ एम० १९ ।। गादी रूडी में रूनी कीधी, ते मांहि प्रतिमा राखे जी। अनुक्रम आन्यां परिकर मांहे, * श्री संघने सुर साखे जी ॥ एम० २० ॥ उच्छव दिन दिन अधिका थाये,
सतरह भेद सनात्रो जी । ठाम ठामना दरसन करवा, आवे लोक प्रभातो जी ॥ एम० २१ ॥
॥ दोहा ॥ इक दिन देखे अवधसं, परिकर पुरनो भंग । जतन करूं प्रतिमा तणों, तीरथ अछे अभंग ॥२२॥ सुहणो आपे सेठने, थल अटवी उज्जाड । महिमा थास्ये अति धणी, प्रतिमां तिहां पहुंचाड ॥२३॥ कुशल क्षेम तिहां
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