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________________ 119 चैत्यवन्दन- विभाग ॥ श्री शान्तिनाथ जिन चैत्यवन्दन ॥ सोलम जिनवर शान्तिनाथ, सोवन सम काय । विश्वसेन अचिरा सुतन, मृग लाञ्छित पाय ॥ | १ || चालीस धनुष प्रमाण, उच्च जसु देह विराजे । आयु वच्छर लाख एक, जलधर धुनि गाजे ॥२॥ छट्ट भत्त संजम लियो ए, हथणा पुर वर नाम, निज गणधर छत्तीस युत, आपो शिवपुर स्वाम ||३|| बासठ सहस सुसाधु, छ सय वलि इकसठ सहस । श्रावक साध्वी दोय लाख, बलि नेऊ सहस ॥४॥ सहस त्रयाणं तीन लाख, श्रावणी सार । निर्वाणी सुरी गरुड़ यक्ष, नित सांनिधिकार ||५|| नव सय मुनि परिवार सुं ए, मास खमण तप जाण । प्रभु सीधा सम्मेत गिरि, करो संघ कल्याण ||६|| ४८१ ॥ श्री कुन्थुनाथ जिन चैत्यवन्दन || जय जय जग गुरु कुन्थु नाथ, श्री माता जाय । सूर नरेश्वर अङ्ग जात, काञ्चन सम काय ॥१॥ देह धनुष पैंतीस मान, लाञ्छन जसु छाग । सहस पच्याणं वर्ष आयु, चल तेज अथाग ॥२॥ छह भत्त संजम लियो ए, हत्यणा पुर वर ठाम । निज गणधर पैंतीस युत, आपो शिवपुर स्वाम ||३|| साठ सहस मुनि श्रमणि, संघ साठ हजार छ सै । इक लख गुणयासी सहस, श्रावक सुध उलसै ॥ ४ ॥ सहस इक्यासी तीन लाख, श्रावकणी सार । सुर गन्धर्व बला सुरी, नित सांनिधिकार ||५|| एक सहस मुनि साथ सुं ए, मास खमण तप जाण । प्रभु सीधा सम्मेत गिरि, करो संघ कल्याण ||६|| ॥ श्री अर जिन चैत्यवन्दन || देवी नन्दन देवनाथ, अरनाथ प्रधान । लाञ्छन नन्द्यावर्त्त नाम, वपु काबन वान ||१|| तात सुदर्शन धनुप तीस, जसु देह प्रमाण । सहस नांगनी वर्ष आयु, अति निर्मल नाण ॥२॥ छह भत्त संजम लियो ए, हविणाउर पुर टाम । निज गणधर तैंतीस युत, आपो शिवपुर स्वाम ॥३॥ नाधु सहस पचास मान, साठ सहस श्रमणी । सहस चौरासी एक लाख E
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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