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తను వంగుంది కనుక తరం తరం యువతులు దండంటి పలు tttttttadatte
पूजा-विभाग
दरिये ॥ च ॥ तसु सेवक मुनि धर्म विशाला, उपगारी सुख करिये ॥ च० २२ ॥ तसु सेवक मुनि सुमति कहत हैं, पूजो शुभ मन धरिये ॥ च० ॥ हित वल्लभ गणिवरके आग्रह, पूज रची सुख करिये ॥ च० २३ ॥ बीकानेर नगर सुखकारी, संघ सकल हित करिये ॥ च० ॥ वंछित पूरण मंगल माला, सुजस शोभा नित वरिये ॥ च० २४ ॥ ॐ ह्रीं चतुर्दश रज्वात्मके शाश्वत अशाश्वत जिनेन्द्राय अष्ट द्रव्यं मुद्रां यजामहे स्वाहा ।
श्री दादा गुरुदेव पूजा
॥ आवाहन* मन्त्र ॥ सकल गुण गरिष्ठान सत्तपोभिर्वरिष्ठान् । शम दम यम जुष्टांश्वारु चारित्रनिष्ठान् ॥ निखिलजगति पीठे दर्शितात्मप्रभावान् । मुनिपकुशलसूरिन् स्थापयाम्यत्र पीठे ॥ १॥ ____ ॐ ह्रीं श्रीं श्रीजिनदत्त-श्रीजिनकुशल-श्रीजिनचंद्रसूरिगुरो अत्रावतरावतर अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ठः स्वाहा । ॐ ह्रीं श्रीं श्रीजिनदत्तसूरिगुरो अत्र मम संन्निहितो भव वषट् । ।
जल पूजा
॥ दोहा॥ ईश्वर जग चिंतामणी, कर परमेष्ठी ध्यान । गणधर पद गुण वर्णना, पूजन करो सुजान ॥१॥ सौधर्मा मुनिपति प्रगट, वीर जिनेश्वर पाट । मिथ्या मत तम हरणको, भव्य दिखावन वाट ॥२॥ सुस्थित सुप्रतिबद्ध गुरू, सूरि मंत्रको जाप । कोटि कियो जब ध्यान धर, कोटिक गच्छ सुथाप ॥३॥ दशपूर्वी श्रुतकेवली, भये वज्रधर स्वाम | ता दिनतें गुरुगच्छ को, वज्र शाख भयो नाम ||४|| चंदसूरि भये चन्द्र सम, अतिहि बुद्धि निधान । चंद्रकुली सब जगतमें, पसर्यो बहु विज्ञान ॥५॥ वर्द्धमान के पाट
* प्रथम चौकी या पट्ट पर चावलों का साथिया कर नारियल पर रुपया रख कर 1 उपरोक्त मन्त्र से आवाहन करे।
यहा से हर एक पूजा मे नियमानुसार जल चन्दनादि लेकर खड़ा रहे।
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