________________
irioleta
पूजा-विभाग
t ratantatoletriolatastrocinemr.uthfultatusb.lar-TELuliabisi.lalikoluktalialistiakataliealinkalimfimli.ristholiakistandirlelialistialiafrelanki-katihinbishalraliak.taintinatholi-Balishaki-ciatilimstartiti.
| करी ने, समकित शुद्ध सदा तं वर रे ॥ ध्व० १० ॥ इण पर शाश्वत
जिनकी सेवा, भाव सहित भविजन अनुसर रे ॥ ध्व० ॥ मुमति कहे ए जिनकी आज्ञा, अपने सिर पर तूं नित धर रे ॥ व्व० ११ ॥ ॐ ह्रीं चतुर्दश रज्वात्मके शाश्वत अशाश्वत जिनेन्द्राय अप्टद्रव्यं मुद्रां यजामहे स्वाहा ।
दशम नाटक पूजा
॥ दोहा ॥ दशमी पूजा अवसरे, गावो गीत विशेष । नृत्य करे प्रभु आगले, पावो लाभ अशेष ॥१॥ कुमर कुमरी आठ शत, राय पसेणी माह । सूरि याम रचना करी, भक्ति करे चित चाह ॥२॥ रावणने मंदोदरी, सुनिये शास्त्र मझार । अप्टापद गिरि ऊपरे, नृत्य करे बहुसार ॥३॥ गोत्र तीर्थंकर वांधिये, भक्ति करी मतिवंत । तिण पर तुम भक्ती करो, पावो लाभ अनन्त ॥४॥
॥ जिन गुण गावत सुर सुन्दरी ॥ नृत्य करे मिल सुर सुन्दरी रे ॥ नृ० ॥ थेई थेई तान करे प्रभु आगे, सुन्दर सब सिणगार करी रे ।। नृ०॥ गल मोतियनको हार विराजे, वेसर मोती लाल जरी रे ॥ नृ० ५ ॥ बांहे बाजू हीरा जड़िया, वित्रमें चूनी लाल खरी रे ॥ नृ० ॥ कंचुक कसिया हरष उलसिया, दीसे मोहन बेल परी रे ॥ नृ ६॥ हाथें चूड़ी सोहे रड़ी, पग नेवर झणकार करी रे ॥ नृ०॥ ठम ठम नाचत जिन गुण गावत, भावत नाचत सुर महरी रे ॥ नृ० ७॥ आंखने भटके मुखने लटके, मोहे सुरनर देव नरी रे ॥ नृ०॥ हीर चीर पाटम्बर पहरी, प्रभु आगल गुण गाय खरी रे ॥ नृ० ८॥ गावत गीत । मधुर धुन झीणा, वीणादिक सब साज करी रे ।। नृ०॥ धपमप धपमप मादल बाजे, चंग रंग नाचत किन्नरी रे ॥ नृ० ९॥ मोहन गारी सब मिल नारी, देखत सुरनर चित्त हरी रे ॥ नृ० ॥ शशि सम वदनी कोयल : वयणी, वरसत अमृत मेघ झरी रे ॥ नृ० १० ॥ विध बत्तीसे नाटक करके.
Plearalalente-tolertainikNIJAadaBSAHASnabaleedindesanneetinlodnandreducemedial-JosesilodasalnedarlineindianderlunlotaJanajatiljaalidasinalesaletundatwaladamahetraintinute Islatulataka