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२ घुटनों पे टीकी दें – जानु
पूजा - विभाग
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नवअंगी भाव पूजा ॥ दोहा ॥
चरणां पे टीकी दें—पर उपगारी चरणयुग, अनन्त
शक्ति स्वयमेव । अनुभव सेव ॥१॥
प्रथम पूजिये, आतम पूजा, दूसरी, समाधि भूमिका जान । आतम साधन ज्ञान ले, शुद्ध दशा पहिचान ॥२॥ हाथों पे टीकी दें—कर पूजा जिनराज की, दिये सम्वच्छरी दान | ते कर मुझ मस्तक ठबू, पहुँचे पद निर्वाण ॥३॥
कन्धों पे टीकी दें - भुजवल शक्ति जानके, पूजा करूं चित लाय । रागादिमल हटायके, आतम गुण दरशाय ॥४॥ मरतक पे टीकी दें- सिर पूजा जिनराज की, लोकशिरोमणि भाव । चउगति गमन मिटायके, पंचम गति सम भाव ॥५॥ ललाट पे टीकी दें - लिलवट पूजा सार है, तिलक विधि विश्राम । वदन कमल वाणी सुनें, पहुंचे निज गुणधाम ||६|| कण्ठ पे टीकी दें— कण्ठ पूजा है सातमी, वचनातिशय वृन्द । सप्त भेद पेंयालीस श्रुत, अनुभव रस नो कन्द ॥७॥ हृदय पे टीकी दें - हृदय कमलनी पूजना, सदा वसो चित माह | गुण विवेक जागे सदा, ज्ञान कला घट छाह ॥८॥ नाभी पे टीकी दें - नाभी मण्डल पूजके, षोड़श दलको भाव । मन मधुकर मोही रह्यो, आनन्द घन हरपाव ॥९॥
पुष्प पूजा
॥ दोहा ॥
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शतपत्री वर मोगरा, चम्पक जाइ गुलाव | केतकी दमणो बोलसिरि, पूजो जिन भरि छात्र ||१||
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