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________________ IF tots to Youtout to Youto to to to to to to to to Youto to to Yada York Is Is Lexo Yo Yo Got Lt bbbbbb klikkkki पूजा - विभाग ३०५ उमंग ||३०|| शुभवेला लगनें तीर्थनाथ । जनम्या इन्द्रादिक हर्ष साथ ॥ सुखपाम्यां त्रिभुवन सर्वजीव । बधाई बधाई थई अतीव ॥ ३१ ॥ ॥ ढाल ॥ श्रीतीर्थपतिनो कलश मज्जन गाइये सुखकार । नरक्षेत्र मंडण दुह विहंडण ॥ भविक मन आधार । तिहां रावराणा हर्ष उच्छव ॥ थयो जग जयकार । दिशि कुमरि अवधि विशेष जाणी । लह्यो हर्ष अपार ||३२|| निअ अमर अमरी संग कुमरी । गावती गुण छंद । जिन जननी पासे आय पहुंती || गह गहति आनन्द || हे माय तें जिनराज जायो । शुचि वधायो रम्म । अम्हजम्म निम्मल करण कारण ॥ करिस सूईअ कम्म ||३३|| तिहां भूमि २ सोधन दीप दरपण बाय बीजणधार | तिहां करिय कदली गेह जिनवर || जननि मज्जनकार | वर राखड़ी ३ जिनपाणि बांधी ॥ दीये इम आसीस । युगकोड़ कोड़ी चिरंजीवो धर्मदायक ईस ||३४|| ॥ ढाल ॥ जगनायकजी त्रिभुवन जगहितकारए परमातमजी चिदानन्द घनसारए ||५|| उल्लालानी । जिन रयणीजी दश दिश उज्जलता घरे || शुभ लगनेजी ज्योतिष चक्र ते संचरे । जिन जनम्याजी जिन अवसर माता घरे || तिण अवसरजी इन्द्रासन पिण थरहरे ||३६|| ॥ त्रोटक ॥ थरहरे आसन इन्द्र चिंते कवण अवसर ए बन्यो । जिन जन्म उच्छव काल जाणी अतिहि आनंद ऊपन्यो || निज सिद्ध संपति हेतु जिन वर जाणि भगते ऊमह्यो । विकसन्त वदन प्रमोद वधते देवनायक गहगह्यो ||३७|| तब सुरपतिजी घंटानाद १ फूल या अक्षत हाथमें लेकर भगवान् के सम्मुख उछाले फिर तीन फेरी देकर णमुत्थुणं से सव्वेतिविहेण वंदामि तक पढ़े और दाहिने हाथ में रोली का साथिया करके मौली बांधे । २ जमीन को वस्त्र से शोधन करे, दीपक, शीशा दिखावे, पंखा हिलावे । ३ भगवान् के दाहिने हाथ में मौली बांधे । ४ घण्टा बजावे | 39 || ढाल || कराव ए । सुर लोकेजी घोषणा एह Yokotelot Animia ta ta tetesthe tasteele tail. Yo to to to You! In In Your Tarinade, Yo Yo Youtout toute to I Tauta Voulante & ita Yo You, L. You'
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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