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विधि - विभाग
आदि नदियों पर जाने के लिये निम्नलिखित क्रिया करें पहले मट्टी के कलश ७-९-११-३१-४१ से लेकर १०८ तक लेने चाहिये उन कलशों में अन्दर तथा बाहर रोली के ५ साथिये करे उनके अन्दर ५ सुपारी एक एक रुपया वगैरह और बाहर एक-एक पञ्चरत्न की पोटली एक एक फूल माला मैनफल मरोडफली बांधे उनपर एक एक नारियल रखे पीछे स्नान्त्रिये भी अपने हाथों में मैनफलमरोडफली बांधे और अंग शुद्ध करे |
ॐ कल्मष दह दह स्वाहा । इस मन्त्र को ७ बार पढ़कर चित्त ( मन ) शुद्ध करे फिर अङ्ग रक्षा करे ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं पादौ रक्ष रक्ष ||१|| इस मन्त्र को ६ बार पढ़कर पैरों पर हाथ फेरे । ॐ ह्रीं मो सिद्धाणं कटिं रक्ष रक्ष ||२|| इस मन्त्र से करधनी पर हाथ फेरे । ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं नाभि रक्ष रक्ष ॥३॥ इस मन्त्र से ( सूंडी ) पर हाथ फेरे । ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं हृदयं रक्ष रक्ष ||४|| इस मन्त्र से हृदय की रक्षा करे । ॐ ह्रीं णमो लोएसव्वसाहूणं ब्रह्माण्डं रक्ष रक्ष ||५|| ७ बार इस मन्त्र से मस्तक पर हाथ फेरे । ॐ ह्रीं एसोपञ्चणमोक्कारो शिखां रक्ष रक्ष ॥६॥ ७ बार इस मन्त्र से चोटी पर हाथ फेरे । ॐ ह्रीं सव्वपावप्पणासणो आसनं रक्ष रक्ष ॥७॥ ७ बार इस मन्त्र से आसन पर हाथ फेरे । ॐ ह्रीं मंगलाणं च सव्वेसिं आत्मचक्षू रक्ष रक्ष ||८|| ७ बार इस मन्त्र से हृदय पर हाथ फेरे | ॐ ह्रीं पढमंहवइ मंगलं पर इस मंत्र से चक्षू पर हाथ फेरे फिर पूर्ववत अङ्गरक्षा स्तोत्र पढ़े इसके बाद दशदिग्पाल, नवग्रह, आवाहन, वलिवाकुल आदि सब कार्य शान्ति पूजानुसार करे । और सब स्नात्रिये निम्नलिखित मन्त्रों से अंग शुद्धी करें ।
चक्षू रक्ष रक्ष । ७ बार
ॐ ह्रीं अमृते अमृतोद्भवे अमृत वर्षिणि अमृतं श्रावय श्रावय स्वाहा ||१|| इस मन्त्रको सात बार पढ़कर दन्तधावन कुल्ला करने का जल मन्त्रे । ॐ ह्रीं यक्षसेनाधिपतये नमः ||२|| इस मन्त्र को सात बार पढ़ कर दन्तधावन करे |
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