________________
yaashkshatinAkski
t halitieshishLocacaorapalmalrakasmikAYATMelloetestsidartarrate
विधि-विभाग
PANMAnwar
PLthaientistKKAKKARKIKATARNAMM
o
इस तरह नवपद की बड़ी पूजा कराकर नवपदजी की आरती करे। पीछे नवपदजी का निम्न चैत्यवन्दन करे । जो धुरि श्री अरिहंत मूल दृढ़ में पीठ पइडिओ। सिद्ध सूरि उवझाय साहु चिहुँ साह गरिडिओ॥ दंसण णाण ।
चरित्त तव पड़िसाहे सुंदरु । तत्तक्खर सिरि वग्ग लद्धि गुरु पय दल डंबरू ।। दिशिवाल जक्ख जक्खिणी पमुह सुर कुसुमेहि अलंकियो। सो सिद्धचक्क गुरु कप्पतरु अमइमन बंछिय दियउ ॥१॥ पीछे जंकिंचि०
णमोत्थुणं. नमोऽर्हत सिद्धा. कहकर नवपदजी का स्तवन पढ़ कर जय* वीयराय अणत्थ कह एक णमोकार का काउसग्ग करे और नवपदजीकी स्तुति । कहे। पीछे गुरुके पास वासक्षेप ले ज्ञानपूजा, गुरुपूजा करे, धूप खेवे, । नगदी चढ़ावे | पीछे यथाशक्ति साधर्मी वात्सल्य करे। इसके बाद पूर्वोक्त विसर्जन की विधि करे।
नवपद मण्डल पूजन की सामग्री __९ गोले, ८ कर्केतक रत्न, ३४ हीरे, ८ माणक, ३५ मूगे, ५ गोमेदक, ३६ सोने के फूल, ४ इन्द्रनील, ३५ मरकेतक रत्न ( पन्ना), ५। राजपट्ट, २७ अरिष्टरत्न, ६७ मोती, ५१ मोती, ७० मोती, ५० मोती, ९ ध्वजा, ९ अंगलूहण, ६ कटोरी में १६-१६ दाख, २ कटोरी में ३२-३२, इस तरह कुल १६० दाख, ८ बिजोरा, ८ मिश्री के कुजे या १६-१६ मिश्री के टुकड़े, ८ कटोरी में १६-१६ लवंग, मिश्री की कटोरी में या मिश्री
के कुजे, ४८ छुहारे, ८ अनार, ८ नारंगी, ६४ सुपारी, २४ ३ यक्षजी के २४ यक्षणीजी और १६ विद्या देवी । ९ कलश चांदी या सोने के,
४ सीताफल, ४ (कुष्माण्ड) पेठे, दशदिग्पालों की भेंट, नवग्रहों की भेंट, यथाशक्ति नवपदों में भेंट अवश्य चढ़ावे ।
विंशस्थानक मण्डल पूजन विधि शुभदिन शुभघड़ी शुभनक्षत्र शुभमुहूर्त में पूजा करानेवाले का चन्द्रमें चल देखकर विंशस्थानक मण्डल बनावे सब स्नात्रियों को अङ्गशुद्धि, वस्त्र ।
-REriticiasaratrikaatankrt.inka-take-tulatakaitrifieldikalinsulinfistinationshinetratimkistiation insaktartlinkok.inkhaskar_KHARA
mpokisodialistianithalilialestialisualbalalaladiol
r
. .titutentiareena tubratak.infinit kulkrista
o udlalakaratalistialistantialinalistiallysislalatkailast Titletitillatatalelateletelndalaidar
34