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विधि-विभाग
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नमस्कार श्लोक निःस्वेदत्वादि दिव्यातिशय मय तनून् , श्री जिनेन्द्रान् सुसिद्धान् । सम्यक्त्वादि प्रकृष्टाष्टक गुणभृदाचार साराश्च सूरीन् । शास्त्राणि प्राणिरक्षा प्रवचन रचना सुन्दराण्यादि संज्ञम् । तत्सिध्यैः पाठकानां यतिपति सहितानयाम्यर्घ दानैः ॥१५॥ इत्थमष्ट दलं पद्मं पूरयेदर्हदादिभिः । स्वाहान्ते प्रणवाद्यश्च पदैविघ्ननिवृत्तये ॥१६॥ ॐ ह्रीं श्रीं अहँ असिआउसाय सम्यग् । दर्शन ज्ञान चारित्र तपसेभ्यो ह्रीं श्रीं अहं परमेष्टिन् परमनाथ परमदेवाधि देव परमार्हन् परमानन्त चतुष्टय परमात्मने तुभ्यं नमः ।
द्वितीय वलय पूजा पीछे दुसरे वलय में १६ कोठे हों उनमें एक एक कोठा छोड़ के आठ अवर्गादि वर्गों की स्थापना करे और बाकी के आठ खानों में अनाहत पदों की स्थापना करे। ____ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं' यह मन्त्र पढ़कर मिश्री, लवंग चढ़ावे
और आठ कोठों में से पहले कोठे में अवर्गादि स्वर स्थापित करे बाकी । सात कोठों में व्यञ्जन वर्गों की स्थापना करे उनमें किसमिस या अंगूर मुनक्का चढ़ावे ।
ॐ ह्रीं णमो अणिहंताणं' मिश्री लवंग चढ़ावे ॥१॥ अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः ॐ ह्रीं स्वरवर्गाय नमः । इस जगह १६ द्राक्षा चढ़ावे ॥२॥ ॐ ह्रीं णमो अरिहंतोणं' मिश्री लवंग चढ़ावे ॥३॥ क ख ग घ ङ ॐ व्यञ्जन कवर्गाय नमः । १६ द्राक्षा चढ़ावे ॥४॥ ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं' मिश्री लवंग चढ़ावे ॥५॥ च छ ज झ ञ ॐ ह्रीं चवर्गाय नमः । १६ द्राक्षा चढ़ावे ॥६॥ ॐ णमो अरिहंताणं मिश्री लवंग चढ़ावे ॥७॥ ट ठ ड ढ ण ॐ ह्रीं टवर्गाय नमः। १६ द्राक्षा चढ़ावे ॥८॥ ॐ ह्रीं णमो , अरिहंताणं' मिश्री लवंग चढ़ावे ॥९॥ त थ द ध न ॐ ह्रीं तवर्गाय नमः । १६ द्राक्षा चढ़ावे ॥१०॥ ॐ णमो अरिहंताणं, मिश्री लवंग चढ़ावे ॥११॥ प फ ब भ म ॐ ह्रीं
అడవులను తమవంతు
తడుముకు
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