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ఇతరతరం తన మనసున మ
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जैन-रत्नसार व्याख्यादिकर्म कुर्वाणान्, शुभध्यानैक मानसान् । उदक पत्रगतान् । वारान, साध्वाशीस सुव्रतान् ॥९॥ वैराग्यमन्तर्वचसि प्रसिद्धं, सत्यं तपो द्वादशधाशरीरे । येषामुदक्यवगतान सुकृतान् पवित्रान् , साधून्सदातान् परिपूजयामि ॥१०॥ ॐ ह्रीं श्रीं सर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा।'
दर्शन पद पूजा पीछे एक रकेबी में श्वेत गोला, श्वेत ध्वजा, श्वेत वस्त्र, ६७ मोती लेकर दर्शन पद की पूजा करे।
जिनेन्द्रोक्त मतश्रद्धा लक्षणे दर्शने यजे । मिथ्यात्व मथनेशुद्धं नरत मीशान् सदले ॥११॥ ॐ ह्रीं श्रीं सम्यग्दर्शनाय नमः स्वाहा ।'
ज्ञान पद पूजा फिर रकेबी में श्वेत गोला, श्वेत ध्वजा, श्वेत वस्त्र, चावल के लड्डू, ५१ मोती लेकर ज्ञान पद की पूजा करे । ____ अशेष दोष पर्याय रूपमेवावभासकं । ज्ञानमाग्नेय रूपस्थं पूजयामि हितावहम् ॥१२॥ ॐ ह्रीं श्रीं सम्यग् ज्ञानाय नमः स्वाहा ।'
चारित्र पद पूजा फिर रकेबी में श्वेत गोला, श्वेत ध्वजा, श्वेत वस्त्र, ७० मोती लेकर चारित्र पद की पूजा करे।
सामायिकादिभिर्भेदै श्चारित्रं चारु पञ्चधा । संस्थापयामि पूजार्थं पत्रेह नैऋतेः क्रमात् ॥१३॥ ॐ ह्रीं श्रीं सम्यग् चारित्राय नमः स्वाहा ।'
तप पद पूजा इसके बाद फिर रकेबी में श्वेत गोला, श्वेत ध्वजा, श्वेत वस्त्र, ५० 1 मोती लेकर तप पद की पूजा करे।
द्विधा द्वादशधाभिन्नं पूते पत्र तपः स्वयं । निधाययामि भक्त्याय वायव्यां दिशि शर्मदम् ॥१४॥ ॐ ह्रीं श्रीं सम्यक् तपसे नमः स्वाहा।
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गाललगानामग्रवनप्रवलयप्रणमनन गणल्या गल्लामनग्रन