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Notarikaak ketreetprakshatratiotestsistak raddatestakeskareoledeeksharalekedarlakakakk
जैन-रनसार
a rratekardostoaksatta
జమునను
याप्रबननननननननननननननननननननननननननननननन प्रस्ताजनप्रस्तानमन्त्र
कर एक एक जलधारा देना शुरू करें तीसरी धारा (बराबर) अखण्डरूप से जबतक सप्तस्मरण का पाठ समाप्त न हो तबतक जलधारा बन्द न करें और पांच स्नानिये सप्तस्मरण१ का पाठ प्रारम्भ करें घड़ा जब प्रतिपूर्ण भर जाय तब एक एक णमोक्कार मन्त्र पढ़ कर जलधारा बन्द करदें।
इसके बाद एक स्वास से तीन णमोक्कार पढ़कर प्रतिमाजी तथा नवपद गट्टे को बड़े घड़े से बाहर निकाले और निकाल कर जल चन्दन से अष्ट प्रकारी पूजा करे पीछे आरती करे आरती करने के बाद विसर्जन करने के लिये जल का कलश, केशर की कटोरी और कुसुमाञ्जलि हाथ में लेकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़े।
- विसर्जन मन्त्र आह्वानं नैव जानामि, नैव जानामि पूजनं । विसर्जनं नैव जानामि, त्वमेव शरणं मम ॥१॥ आज्ञाहीनं क्रियाहीनं, मन्त्रहीनं च यत्कृतं ।। तत्सर्व क्षम्यतां देव, प्रसीद परमेश्वरः ॥२॥ शकाद्या लोकपालादिशि विदिशिगता शुद्ध सद्धर्मशक्ताः। आयाता स्नात्र काले, कलुषहृतिकृते तीर्थ नाथस्यभक्त्याः ॥ न्यस्ता शेषा पदाद्या विहित, ' शिवसुखाः स्वापदं साम्प्रतन्ते । स्नात्रे पूजामवाप्यस्वमति, कृतिमुदो यान्तु कल्याणभाजः ॥३॥
यह मन्त्र पढ़कर पट्टों को स्थान से हटा दे फिर इसी मन्त्र से दशदिग्पालों२ को जहां बलिवाकुल चढ़ाया हो उनको अपने स्थान से
నడువనను తన కవచమును మనకు తడుమునననన తననంతరము మనమంతను తన మనవడు తనను
१ सप्तस्मरण का पाठ बहुत शुद्ध स्पष्ट रीत्यानुसार घड़ा पूर्ण होने पर ही समाप्त करे शान्ति पूजा में जलधारा के समय सप्तस्मरण के पाठ करने की ही आज्ञा है ।
, २ कई शहरों के मन्दिरों में नियम है कि दशदिग्पालों को जहा वलिवाकुल चढ़ाया जाता है वहां विसर्जन के समय मे भी जैसे प्रारम्भ में चढ़ाया जाता है वैसे ही विसर्जन के समय में भी चढ़ाया जाता है।