________________
२३४
जैन-रत्नसार
MilasaulikhMaulikali titi traula k
thakur-Irritates listAREAKERCENThlila ka bhutniskashtamokatahkaRKARKakikat kolraki kakakaktak Hairmaaranasina Kakkartanate
(टोकनी ) या घड़ा १ तांबा, मट्टी या पीतल के बड़े घड़े को सफेद । खड़िया से पोते और पोतकर एक साथिया अन्दर और पांच साथिये बाहर करें उस घड़े को पीतल या तांबे की परात (थाल) में घड़ोंची पर घड़ेको रखे। घड़ेके चारों तरफ चार सुपारी लगा दें जिससे घड़ा हीले नहीं फिर एक तिपाईं बड़े घड़े पर रखे उस पर एक छोटे घड़े को बीच में सुराख करके रखे उसको भी खड़िया से पोतकर पांच साथिये करे दोनों धड़ों में पञ्चरत्नर की पोटली मैनफल मरोडफली और एक एक फूलों का हार बांध देना चाहिये। फिर पञ्चरङ्गी३ इक्कीस खजली (पापड़ी) चारों तरफ बांधे ।
और एक मोलीका पिण्डा बनावे और घड़ेके सुराखमें उसे निकाल कर रस्सी में पापड़ी पोवे और चारों तरफकी खजलियों के बीच की रस्सी में बांध देवे । मोली का पिण्ड ठीक घड़े में विराजमान की हुई प्रतिमाजी की शिखरी
पर ही होना चाहिये टेढ़ा नहीं होना चाहिये इसके बाद स्नात्री लोग। * अपने हाथ में मैनफल मरोडफली वांध स्नात्रपूजाट करावे तथा करे । दुध, दही,
घृत, मिश्री केशर इनका पञ्चामृत बनाकर रखे इसके बाद पान होने चाहिये इनके ऊपर चावल, सुपारी बादाम, पांच तरह का मेवा, इलायची, लौंग, बतासे, फल, पैसे नगद तैयार रखे फिर
आत्मरक्षा स्तोत्र ॐ परमेष्ठी नमस्कारं सारं नव पद्मात्मकं । आत्मरक्षा करं वज पञ्जराभं स्मराम्यहम् ॥१॥ ॐ णमो अरिहंताणं शिरस्क शिरसि स्थितम् । ॐ णमो सव्व सिद्धाणं मुखे मुख पटम्बरम् ॥२॥
halati kala thukaindiatiohilitatulaikleeasiniremAhilantoshitanatharitra
hitichutilablebritannilialishalwarkaridab
१घड़ा तांये का शुद्ध होता है। पञ्चरत्न, चांदी, सोना, मोती, मूंगा, माणक । ३यदि पाच रंग की पापड़ी न हो तो एक रंग से भी काम चल सकता है।
४स्नात्र पूजा में स्थापना का १) रुपया 1) आना निछरावल करना उपयुक्त है आगे मन्दिरजी को जैसा नियम हो।
r datlabarikalestonkhixLitetaxy
.
21-