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विधि-विभाग भगवन् सूत्र भणू ? कहे । गुरुके 'भणेह' कहनेके बाद 'इच्छं' कहकर तीन णमोकार तथा तीन करेमिभंते.१ पढ़कर इच्छामि पडिक्कमिउंजोमे राइओ०२
तथा वंदित्तु०३ सूत्र पढ़े । वंदित्तु सूत्रकी ४३ वीं गाथामें 'अब्भुडिओमि पद में आने पर खड़ा होकर शेष वंदित्तु को सम्पूर्ण करे। पीछे दो वन्दना देकर
'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! अब्भुडिओमि अभितर राइयं खामेडं. बोले । गुरु के 'खामेह' कहने पर 'इच्छं' कहकर प्रमार्जन पूर्वक घुटने टेक शरीर नमा दाहिने हाथ को चरवले पर रख तथा बायें हाथ से मुंहपत्तिका मुखके आगे रख 'खामेमि राइयं,जं किंचि अपत्तियं०४' सूत्र कहे । गुरुको 'मिच्छामि दुक्कडं देनेपर दो वन्दना देवे। तदनन्तर 'आयरिअ उवझाए.' की तीनगाथायें कहकर,करेमिभंते०,इच्छामि ठामि०५, तस्सउत्तरी०६, अणत्थ. कहकर काउसग्ग करे । काउसग्ग में भगवन् महावीर स्वामी कृत छम्मासी तप का चिंतन छह लोगस्स या चौबीस णमोक्कार का काउसग्ग करे।
और जो पञ्चक्खाण करना हो तो मनमें धारकर काउसग्ग पारे। फिर । प्रगट लोगस्स. कहकर उकडू आसनसे बैठकर छठे आवश्यककी मुंहपत्ति
पडिलेहे दो वन्दना देवे । ___पीछे 'सद्भक्त्या देवलोके० स्तव से सकल तीर्थों को मान पूर्वक नमस्कार करे और 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पसायकरी पच्चक्खाण कराओजी०' ऐसा कह, गुरु के मुख से या वृद्ध साधर्मिक के मुख से या स्थापनाजी के सामने पूर्व निश्चयानुसार पच्चक्खाण कर ले। बाद 'इच्छामो अणुसडिं.' कहकर बैठ जाय और मस्तक पर अंजली रख 'णमो खमासमणाणं०, नमोऽर्हत.' पढ़, पर समय तिमिर तरणि०६ की तीन गाथायें कहे । पीछे णमुत्युणं कह खड़े होकर 'अरिहंत चेझ्याणं०१०' व अणत्य०११ पढ़ एक णमोकार का काउसग्ग करे और उसको नमोऽर्हत्० पूर्वक पारकर एक स्तुति (थुई ) कहे । बाद 'लोगस्स० सव्वलोए० अरिहंत चेइयाणं. अणत्य' पढ़ एक णमोक्कार० का काउसग्ग करे और दूसरी स्तुति कहे। फिर
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alai totalo. 1. యముడు 1-11 నలు
१-पृष्ठ३ २-पृष्ट७३ -पृष्ठ ११। ४-पृष्ठ२। ५-पृष्ठ ७ ७-पृष्ठ ।५-पृष्ठ १४।६-पृष्ठ १७। १०-पृष्ठ७। ११-पृष्ठ४।
६
-पृट
करन्ट
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