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క్రతువు గురించరనగ చ చ క వడ మంచు కుండను తను నను నడుపుతున్న యువకుడు ముందుకు నడిపండు నుంచునాడు
. सूत्र विभाग जो विगय द्रव्य है उसका स्पर्श भूल में यदि खाने योग्य वस्तुओं से हो जाये तो उनके खाने में दोष नहीं।
(१४) गिहत्थसंसिडेणं-अन्य आहार या धी तेल आदि से लगी हुई कडछी आदि को साफ कर लेने पर भी चिकनाहट या गंध का थोड़ा अंश उसमें लगा रहे । उस कडछी से कदाचित आयम्बिलवाले को खाना परोसा गया हो तो नियम भङ्ग नहीं होता है।
(१५) पडुच्चमक्खिएणं-भोजन बनाते समय जिन चीजों पर भूल कर घी, तेल आदि की उंगली लग जाय या घी से चुपड़े हुए फुलकों आदि का स्पर्श हो जाय, उन वस्तुओंको आयम्बिलादि पच्चक्खाण वाला भक्षण कर ले तो व्रत भङ्ग नहीं होता।
सार्थपोसह सज्झाय सूत्र जग चूड़ामणि भूओ, उसभी वीरो तिलोय सिरि तिलओ। एगो लोगाइच्चो, एगो चक्खू तिहु अणस्स ॥१॥
भगवान् ऋषभदेव संसारके चूड़ामणि रत्नके समान हैं और भगवान् महावीर त्रिलोक लक्ष्मी के तिलक समान हैं। एक दुनिया के प्रकाशक सूर्य के समान हैं तो दुसरे संसार के लोचन ( नेत्र ) हैं ॥१॥
संवच्छर मुसभ जिणो, छम्मासे वद्धमाण जिणचंदो।
इह विहरिया णिरसणा, जएज्जए ओवमाणेणं ॥ २ ॥ भगवान् ऋषभदेव ने एक वर्ष तक और चन्द्रमा के समान उज्ज्वल मुखवाले भगवान् वर्द्धमान ने छै महीने तक निराहार रह कर तपस्या की। इसी उदाहरण को सामने रख कर तप में प्रयत्नशील होना चाहिये ॥२॥
जइत्ता तिलोय णाहो, विसहइ बहुयाइं असरिसजणस्स।
इय जीयंत कराई, एस खमा सव्व साहूणं ॥३॥ त्रिलोकीनाथ आदीश्वर प्रभु ने दुष्ट मनुष्यों के बहुत से प्राणांतिक उपद्रवों को बर्दाश्त किया ( पर उनके विरुद्ध कुछ न किया )। यही 1 क्षमा ( सहिष्णुता ) सभी साधुओं को होनी चाहिये ॥३॥
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