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________________ २:७०-७४] श्रीवरकृता २७१ तटिकासेतुबन्धं तं छेत्तुं यामोऽस्य तिष्ठतः । अन्यथा दुःसहः प्राप्तस्तदाज्ञा दीयतां विभो ॥ ७० ॥ ७०. 'उसके वहीं रहते नौका सेतुबन्ध को काटने के लिये हम जा रहे हैं। अन्यथा वह दुःसहः पहुँच जायगा । अतएव हे प्रभु ! आज्ञा दीजिये ।' श्रुत्वेति कातरं वाक्यं तेषां दुर्लक्ष्यचेष्टितः । तत्पक्षपातिनो ज्ञात्वा तथेति प्रत्यपद्यत ।। ७१ ॥ ७१. दुर्लक्ष्य चेष्टा करके, राजा ने उनके इस कातर वाक्य को सुनकर, और ( उन्हें ) उस ( भाई ) का पक्षपाती जानकर, कहा-'ऐसा ही हो'-( स्वीकृति दिया )। प्रतिमुच्य नृपस्तान् स रात्रावित्यब्रवीन्निजान् । आनीय फिर्यडारादीन् मन्त्रिणः कार्यनिष्ठुरान् ।। ७२ ।। ___ ७२. उस राजा ने उन्हें मुक्त ( विदा ) कर, फिर्य डारादि' कार्य निष्ठुर अपने मन्त्रियों को बुलवाकर, इस प्रकार कहा इयं हस्सनकोषेशचक्रिका यत् समागतः । एतद्वधेन नष्टः स्यादन्यथाभ्यन्तरं विशेत् ।। ७३ ।। ७३. 'यह हस्सन कोशेश का षड्यन्त्र है, जो कि वह आया है, इसके वध से वह स्वयं नष्ट हो जायगा, अन्यथा वह अन्दर प्रवेश करेगा। तत्प्रातरेते हन्तव्या युक्त्यानीयेति तान्नृपः । छन्नकोपः सेवकान् स्वानकरोत् कृतसंविदः ।। ७४ ।। ७४. 'अतः प्रातः युक्तिपूर्वक लाकर, इनका वध करना चाहिए'. अपने क्रोध को छिपा कर, राजा ने अपने उन सेवकों को मन्त्रणा दी। पाद-टिप्पणी : संख्या मे है और उनमें यह नाम प्रचलित है। ७२. (१) डार : डार = डर = दर = फिर्य डामर वर्ग का प्रचुर उल्लेख कल्हण, जोनराज डामर । द्रष्टव्य टिप्पणी १:१: ९४ । डामर शब्द ने किया है । दर कृषक सम्पन्न वर्ग था। कश्मीरी का अपभ्रंश डर या दर एवं डार है। यह मूलत' शिव उपासक होते है । शिव कथित एक तन्त्र डामर ब्राह्मण थे । हिन्दू ब्राह्मण 'धर' या अंग्रेजी में डी०एच० है। इसके छः भेद-योग डामर, शिव डामर, दुर्ग ए० आर० लिखते है और मुसलिम 'डार' अंग्रेजी डामर, सारस्वत डामर, ब्रह्म डामर तथा गन्धर्व मे डी० ए० आर० लिखते है । यह भेद हिन्दू-मुसल- डामर होते है । डामर का अर्थ आडम्बर, ठाटबाट, मान काश्मीरियों के पहचान के लिए कर दिया गया चमत्कार, क्षेत्रपाल तथा भैरवों में एक है। इसका है। आज भी मुसलमान डार तथा हिन्दू दर काफी अर्थ मिश्रित तथा संकर जाति भी होता है।
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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