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आगै आवृत्ति नक्षत्रका प्रमाणविर्षे आठ मिलाए नक्षत्र प्रमाणते राशि अधिक होइ तौ कहा करिए सो कहे हैं
यहियंकादडवीसं छंडेज्जो विदियपंचमठाणे ।। एक णिरिखवछठे दसमेवि य एकमवाणिज्जो ॥ ४३१ ।। अधिकांकादष्टविंशं त्याज्याः द्वितीयपंचमस्थाने । एक निक्षिपषष्ठे दशमेऽपिच एकमपनेयम् ॥ ४३१ ॥
अर्थ-आवृत्ति नक्षत्रकों अश्विनी गिनैं नेथवा होइ तामैं आठ मिलाए जो अट्ठाईसते अधिक राशि होइ तौ तिहमैंयौं अठाइस घटाए । अर दूसरा पांचवां आवृत्तिस्थानविर्षे आठ मिलाए जो राशि होइ तामैं एक और घटाइए । अर छटा दशवां भावृत्ति स्थानमेंस्यौं एक घटाइए इनका उदाहरण चौथी पावृत्तिविर्षे शतभिषक नक्षत्र है सो अश्विनीत पचीसवां है । तामें आठ मिलाए तेत्तीस होइ तिनमें सों अठाइस घटाए पांच रहे सो कृत्तिकात पांचवां नक्षत्र पुनर्वसु हैं । सोइ चौथा विषुपविर्षे जाननां ऐसे अन्यत्र भी जाननां । बहुरि दुसरी आवृत्तिविर्षे हस्त नक्षत्र है सो अश्विनीत तेरहवां है तामैं आठ मिलाएं इकईस होई एक और मिलाए बाईस होइ सो कृत्तिकात वाईसवां धनिष्ठा है सोई दूसरा विषुपविष जाननां । ऐसे पांचवां स्थानविपैं जानि लेना । बहुरि छट्ठी आवृत्तिविष पुष्य नक्षत्र है सो अश्विनीते आठवां है । तामैं आठ मिलाए सोलह होई तामैं एक घटाए पंद्रह रहें सो कृत्तिकातै पंद्रहवां नक्षत्र अनुराधा है। सोई पांचवां विपुपविर्षे नक्षत्र हैं। ऐसे दहवां स्थानविपैं भी जानि लेनां । इहा अट्ठाईस नक्षत्रकी विवक्षा है तातै गणनाविर्षे अभिजितका भी ग्रहण करनां ।। ४३१ ॥