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दिन-भर आठका इकसठवां भाग प्रमाण शहके अगिजित नक्षत्रका भुक्तिका काल है ।
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या ही प्रकार राहू के जघन्य नक्षत्रका छड़ दिन भर छत्तीसका इकसठिवां भाग मध्य नक्षत्रका तेरह दिन भर ग्यान्हका इकसटिवां भाग उत्कृष्ट नक्षत्रका उगणीस दिन भर सैंतालीसका इकसटियां भाग प्रमाण भुक्तिकाल जाननां ॥ ४०५ ।।
आगें अन्य प्रकारकरि राहु के नक्षत्र भुक्तिकों कहें हैं । -
णक्खत सूरजोगज मुहुत्तरासि दुवेहि संगुणिय || एकद्विहिदे दिवसा हवंति णक्खत्तराहुजोगस्स ॥ ४६ ॥ नक्षत्र - सूरयोगज मुहूर्त राशि द्वाभ्यां संगुण्य || एकपष्ठिते दिवसा भवंति नक्षत्रराहुयोगस्य ॥ ४०६ ॥
अर्थ :- नक्षत्र पर सूर्यका योग कर उत्पन्न जो मुहूर्तनिका प्रमाणरूप राशि ताकौं दोष करि गुणि इकसटि भाग दौएं जो प्रमाण यांतित नक्षल भर रहके योगविषै दिननिका प्रमाण जाननां । तहाँ सूर्यकै अभिजित नक्षत्रका मुक्तिकाल च्यारि दिन छह मुहूर्त है । दिननिकौं तीस गुणांकरि मुहूर्त किएं सर्व एत्र सौ छबीस मुहूर्त भए । इनकों दोय करि गुण दोयसे घावनं भए । इनको इकसठिका भाग दिएं च्यारिअर आठका इकसठिवां भाग आया । सोई राहु अभिजित नक्षत्रका मुक्तिकाल च्यारि दिन भर अटका इकसठीवां भाग प्रमाण है । ऐसी अन्य नक्षलनिका भी विधान करनां ॥ ४०६ ।
आगे एक अयनविषै नक्षत्र भुक्ति सहित वा रहित जे दिन तिनकों कहैं हैं---
अभिजादि तिसीदिसय उत्तरअयणस्स होंति 'दिवसाणि || अधिकदिणाणि तिर्णिय गढ़दिवसा होंति हगि अयणे ॥ ४०७ ॥