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दूसरा अंतग़ल विषै इतनाहीं अंधकार हैं इन सबनिको जोड़े
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९४८३ | - ॥। ६३२४ | ÷ ॥ ९४८६ ।
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इकतीस हजार बाईस योजन प्रमाण परिधि हो । ऐमें ही अन्य परिविनिविएँ जाननां । बहुरि विवक्षित परिधिकों साठिका भाग देह एक मुहूर्त करि गुण जो प्रमाण जावें तितना मास प्रति ताप तमका घटती वती क्षेत्रका प्रमाणरूप हानिचय जाननां तहां fast ofगरिका परिधिकों साठिका भाग देह एक मुहूर्त करि गुण पांच सत्ताईस योजन भर एकका तीसवां भाग प्रमाण हानिचय होइ । एक मासविष एक मुहूर्त रात्रिदिन से सो कहिए हैं । एक दिनविषै दोय इकसठवां भाग प्रमाण हानिचय होय तो सादा तीस दिनविषै हानिचय होइ ऐसें करतें अपवर्तन किएं एक मुहूर्त एक मासविएँ आवहै ।
बहुरि साठि मुहूर्त वर्षे सर्व परिधि प्रमाण विषै गमन करें तो एक मुहूर्तविषै कितनां क्षेत्रविषै गमन करे ऐसें परिधिका साठवां भाग प्रमाण एक मुहूर्त गमन क्षेत्रका प्रमाण अ वैरै ।
भावार्थ:- मेरु गिरिका परिधिविपैं श्रावणमासतें माद्रवमासविषे पांचसै सताईस योजन अर एकका तीसवां भाग प्रमाण तापक्षेत्र घटतां है तम क्षेत्र बघता पाए है। तहां एक सूर्यसंबंधी तापक्षेत्र निवासी सें गुणसठि योजन पर सतरह तीसवां भाग पर इतनाही दूसरा सूर्य संबधी | बहुरि एक अंतराल विषै तम क्षेत्र अहपठिसें इक्यावन योजन पर ग्यारह सतरह वो भाग भर इतनांही दूसरा अंतरालविषै ऐसें सर्व मिलि मेरुगिरिका परिधित्रमाण हो है । ऐसेंडी पूस मास पर्यंत दक्षिणायन विषै तौ मास मास पर्यंत पांच सताईस योजन भर एकका तीसवां भाग प्रमाण आता क्षेत्र तौ घटना घटता भर तम क्षेत्र बघता जाननां ।