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________________ नामक एक अंग्रेजने अपने पुस्तकमें प्रसिद्ध की थी. उनके ऊपर बालगंगाधर टिलकने अपनी अनुकसानी हुई ऐसा दावा निलायतके प्रीव्हीकौंसिल में . दाखल किया था. वह दावा · चलानेके वास्ते नव तिलकसाहब पूनेसे निकले उस बखत अन्यमति प्रख्यात ज्योतिषियोंने उनको कहा था कि-" तुम दावा जीतोगे " परन्तु मि. तिलकने दावा जीता नहीं वे हार गये, यह बात उन्होंने पुनेके अखवारवालोंको लिखी ऐसा उस बखतके पूनेके ज्ञानप्रकाशपरसे मालुम होता है। मि.तिलकने उस वखत उन ज्योतिपशास्त्रीयोंको उद्देशकर अंग्रेजी अखबारों में लिखा था की-" व्हेअर आर दोन अॅस्ट्रा लॉजर्स हूप्रेडिक्टेड माय सक्सेस्" ! . ऐसे ही- महात्मा गांधीजी ता० १२ नोव्हेंबर १९३० को जेलखानेसे मुक्त होनेवाले हैं ऐसे बहुतसे अन्यमति ज्योतिष लोगोंने भाषित किया हुवा अखबारोंमें उस वखत प्रगट हुवा था, लेकिन मान ता. १२ जानेवारी १९३१ हो गयी तो भी उनकी मुक्तता' नहीं हुयी ! __ इस ही प्रकार अन्यमतके वसिष्ठ ऋपि नो रामचन्द्रजीके परम गुरु समझते हैं उन्होंने जिस दिन शुभमुहूर्तपर रामचंद्रजीको राज्याभिषेक करनेको ठहरा था, लेकिन उस दिन रामचन्द्रजीको राज्याभिषेकके बदले वनवास ही भोगना प्राप्त हुवा ! इस आशयका अन्यमत ग्रन्थमें ऐसा उल्लेख है कर्मणो हि प्रधानत्वं किं कुर्वन्ति शुभा ग्रहाः ॥ वसिष्ठो दत्तलग्नश्च रामः किं भ्रमते वनम् ॥१॥ इससे ऐसा तर्क होता है कि--रामचन्द्रजीके गुरु वसिष्ठाचार्य इनकी योग्यता अन्यमतमें बड़ी भारी मानी गई है व वे बड़े विद्वान् माने गये हैं तो ऐसे रामचन्द्रजीके परम पवित्र श्रेष्ठ गुरु वसिष्ठाचार्य इस फलज्योतिःशानमें निष्णात न थे क्या ? अथवा यह फरज्योतिःशाख
SR No.010018
Book TitleJain Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankar P Randive
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year1931
Total Pages175
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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