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४६०
जैनेन्द्र-व्याकरणम्
संख्या
स बम् [१।३।८६] बहुव्रीहिः । यः [१।३।४४] कर्मधारयः
संख्या [१।१।३३]
समाप्तः बहुः [१।२।१५५] बहुवचनम्
सः [१।३।२] युष्मद् [१।२।१५२] मध्यमपुरुषः बोध्यम् [१।४।५५] सम्बोधनम्
सत् [२।२।१०५] सत् सम्प्रदानम्
सम्प्रदानम् रः [१।३।४७] द्विगुः __ [१।२।१११] भः [१।२।१०७] भम् । रुः [१।१००] गुरु सर्वनाम [१।११३५] सर्वनाम भा [१।२।१५८] तृतीया
व
| सुः [१।२।९७] भु [१।१।२७]
घु वा [१।२।१५८] प्रथमा स्फः [१।१।३] संयोगः
वाक् [२।१।७६] उपपदम् स्वम् [१।१।२] सवर्णम्
| विभक्ती [१।२।१५७] विभक्तिः स्वरितः [१११११४] स्वरितः मम् [१।२२१५०] परस्मैपदम् । मुः [१।२।९२] नदी
हः [१।३।४] अब्ययीभावः मृत् [१।१।५] प्रातिपदिकम् । पम् [१।३।१६] तत्पुरुषः । हृत् [३।१।६१] तद्धितम्
घि
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