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8 जैन तत्त्व प्रकाश
अर्थात्-सिद्ध भगवान् के सुख की तुलना किसी भी सुख से की ही नहीं जा सकती। ऐसे अनुपम अतुल, अनाबाध सुख के सागर में मग्न बने हुए अनन्त अनागत (भविष्य) काल तक-सदा के लिए एकान्त सुखी बने रहते हैं ।
ॐ शान्तिः !
शान्तिः !!
शान्तिः !!!