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________________ ॐ अरिहन्त [ ३६ पूर्व धातकीखण्ड के भरतक्षेत्र के ७२ तीर्थङ्करों के नाम भूतकाल के चौवीस वर्तमानकाल के चौवीस __ भविष्यकाल के चौवीस १ श्री रत्नप्रभजी २ ,, अमितदेवजी ३ , संभवजी ४ ,, अकलङ्कजी ५ ,, चन्द्रनाथजी ६ , शुभंकरजी ७ ,, तत्वनाथजी ८, सुन्दरनाथजी ६. पुरन्दरजी १० , स्वामीदेवजी ११ , देवदत्तजी १२ ,, वासदत्तजी १३ , श्रेयनाथजी १४ ,, विश्वरूपजी १५ ,, तप्ततेजजी १६ ,, प्रतिबोधजी १७ ,, सिद्धार्थजी १८ ,, अमलप्रभुजी १६ ,, संयमजी २० , देवेंद्रजी २१ ,, प्रयनाथजी २२ ,, विश्वनाथजी २३ ,, मेघनन्दजी २४ ,, त्रयनेत्रकायजी १ श्री युगादिदेवजी २" सिंहदरजी | ३ " महासेनजी |४" परमार्थजी | ५ " वरसेनजी |६ " समुद्ररायजी ७ " बुद्धरायजी ८" उद्योतजी " आर्यवजी १० " अभयजी ११ " अप्रकम्पजी १२ " प्रेमनाथजी १३ " पद्मानन्दजी १४ " प्रियकरजी १५ " सुकृतजी १६ " भद्रसेनजी १७ " मुनिचन्द्रजी १८ " पंचमुनिजी १६ " गंगेयकजी २० " गणधरजी २१ " सर्वाङ्गदेवजी २२ " ब्रह्मदत्तजी २३ " इन्द्रदत्तजी २४ " दयानाथजी १ श्री सिद्धनाथजी २" समकितजी | ३ " जिनेन्द्रनाथजी ४ " सम्पतनाथजी ५" सर्वस्वामीजी ६" मुनिनाथजी ७" सुविष्टजी ८" अइतनाथजी " ब्रह्मशांतिजी १. " परवनाथजी ११ " आकामुषजी १२ " ध्याननाथजी १३ " कल्पजिनेशजी १४ " संवरनाथजी १५ " शुचिनाथजी १६ " आनन्दनाथजी १७ " रविप्रमजी १८ " चन्द्रप्रभजी १६ " सुनन्दजी २० " सुकरणनाथजी २१ " सुकर्मजी २२ " अनुमायजी २३ " पार्श्वनाजी २४ " सरश्वतनाथ ~ ~ ~
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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