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जैन-तच्याशी
समझना कि यह जी
के याद पड़ता है। १दानी, २ मधुर , ३ . पिता और गुरुजनों का भक्त, ४ धर्मानुरागी, ५ बुद्धिमान, इन पाँच लक्षासों से अनुवाद करना कि यह देवगति में से आया जान पड़ता है। उपमा - पानी में थोड़ी शक्कर डालने से थोड़ी और बहुत इक्कर डालने से बहुत मिठास आती है, इसी प्रकार शुभ कर्म के फल जानना चाहिए और पानी में थोड़ा नमक डालने से थोड़ा और अधिक नमक डालने से अधिक बारपन बाता है, इसी प्रकार अशुभ कर्मों के फल जानना चाहिए । जैसे अभ्रक के एक टुकड़े में अनेक परत (पड़) होते हैं, उसी प्रकार साग पर कमबर्गणाओं के परत लगे हुए हैं। इत्यादि उपमाओं से बंध को समझना पनपताण । आगमप्रमाण-जीव के शुभाशुभ योग, ध्यान, लेश्या, परिणाम इत्यादि, तथा चार गतियों में उत्पन्न होने के सोलह लक्षण जो भागम में बतलाये हैं उन्हें जानना सो आगम प्रमाण से बंध तत्व को जानना है।